आज का दिन 11 जून समय के इतिहास में-

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है

एक से करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है

ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,अब तेरी हिम्मत का चरचा ग़ैर की महफ़िल में है

वक़्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान, हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है

खैंच कर लायी है सब को क़त्ल होने की उम्मीद, आशिकों का आज जमघट कूच-ए-क़ातिल में है

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है – भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ ने 30 वर्ष की आयु में फांसी के फंदे को चूम लिया। 11 जून 1897 में उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में पैदा हुए बिस्मल, मैनपुरी षड्यंत्र और काकोरी कांड में शामिल होने के साथ हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य थे। क्रांतिकारी के साथ-साथ वे कवि, शायर और साहित्यकार भी थे जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित पुस्तकें, लेख व कविताएं ‘बिस्मल’ ‘राम’ ‘अज्ञात’ के नाम से लिखीं। इनमें से ज्यादातर साहित्य तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत द्वारा जब्त कर लिया गया।
बिस्मल को तत्कालीन संयुक्त प्रांत आगरा व अवध की लखनऊ सेंट्रल जेल की 11 नंबर बैरक में रखा गया, जिसमें उनके दल के अन्य साथियों को भी रखा गया था। इन सभी पर ब्रिटिश राज के ख़िलाफ़ राजिश रचने का एतिहासिक मुकदमा चलाया गया। 19 दिसंबर 1927 को सुबह छह बजकर 30 मिनट पर गोरखपुर की जिला जेल में उन्हें फांसी दे दी गयी। उनके पार्थिव शरीर को तकरीबन डेढ़ लाख लोगों के जुलूस ने पूरे शहर में घुमाया और राप्ती नदी के किनारे अंतिम संस्कार किया।
इस घटना से आहत भगत सिंह ने जनवरी 1928 के पंजाबी मासिक ‘किरती’ में ‘विद्रोही’ छद्मनाम से लेख लिया-‘फांसी के तख्ते पर खड़े होकर आपने कहा- I Wish the downfall of British Empire !’
रामप्रसाद बिस्मल ने फांसी से पूर्व एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने अन्य बातों के सिवा लिखा- ‘मैं सुखी हूं। 19 तारीख को प्रातः जो होना है उसके लिए तैयार हूं। परमात्मा मुझे काफी शक्ति देंगे। मेरा विश्वास है कि मैं लोगों की सेवा के लिए फिर जल्द ही इस देश में जन्म लूंगा। मेरी ओर से पंडित जगतनारायण (सरकारी वकील, जिन्होंने बिस्मिल को फांसी दिलवाने के लिए जोर लगाया था।) को अंतिम नमस्कार कह देना। उन्हें हमारे खून से लथपथ रुपये के बिस्तर पर चैन की नींद आए, बुढ़ापे में ईश्वर उन्हें सद्बुद्धि दे।’

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आज 11 जून के अन्य महत्वपूर्ण घटना चक्र–

1776- अमेरिका की स्वतंत्रता का घोषणापत्र तैयार करने के लिए समिति बनायी गयी।
1866- इलाहाबाद उच्च न्यायालय की स्थापना हुई। इससे पहले आगरा उच्च न्यायालय के नाम से जाना जाता था।
1921- ब्राजील में महिलाओं को चुनाव में मतदान का अधिकार मिला।
1935- एडविन आर्मस्ट्रांग ने पहली बार एफएम का प्रसारण किया।
1940- इटली ने मित्र देशों के खिलाफ लड़ाई की घोषणा की।
1955- पहले मैग्निशियम जेट हवाई जहाज ने उड़ान भरी।
1987- 160 वर्षों में पहली बार मार्गरेट थैयर लगातार तीसरी बार ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनीं।

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