कोलकाता, पश्चिम बंगाल : क्या आज का पश्चिम बंगाल दुनियाभर के अपराधियों के छिपने का सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है।
राजधानी कोलकाता से सटे न्यूटाउन के शापूरजी में पंजाब के दो कुख्यात गैंगस्टरों जयपाल भुल्लर और जसप्रीत सिंह जस्सी को मुठभेड़ में मार गिराने के बाद एक बार फिर यह सवाल उठने लगा है।
कोलकाता से सटे उपनगरीय क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्ष में दो दर्जन से अधिक वांछित अपराधी पकड़े गए हैं। इन में से अलकायदा से लेकर जैश-ए-मोहम्मद और जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) जैसे कुख्यात आतंकवादी संगठन के हैंडलर तक शामिल रहे हैं।
राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि कोलकाता के उपनगरीय क्षेत्रों में बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों से रोजी-रोटी की तलाश में आए लोग बसे हुए हैं। इनके बीच अपराधिक तत्वों के घुल मिल जाने की संभावना अधिक रहती है। दूसरे राज्यों से बड़ी संख्या में अपराधी यहां छिपने के लिए आते हैं। यह लोग अपराध करने के लिए नहीं बल्कि दूसरे राज्य में अपराध को अंजाम देने के बाद पुलिस से बच कर छिपने के लिए आते हैं।
इसकी वजह है कि कोलकाता और आसपास के क्षेत्रों में तीन बड़े स्टेशन हैं, सियालदह, हावड़ा और कोलकाता। इन स्टेशनों पर देशभर के राज्यों से ट्रेनों का आवागमन होता है। आसपास के कई राज्यों की सीमा तक ट्रेन के जरिए चंद घंटों में पहुंचा जा सकता है। इन इलाकों में मकान भी आसानी से मिल जाते हैं। इसलिए अपराधी आसानी से बंगाल को अपनी पनाहगाह बना रहे हैं। हालांकि जिस तरह से भुल्लर और जसप्रीत को मुठभेड़ में मार गिराया गया है उस तरह की घटना बहुत कम घटी है।
कुख्यात अपराधियों का ठिकाना बनता रहा है कोलकाता –
इसके पहले 1998 में उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर बबलू श्रीवास्तव का सबसे खास गुर्गा मनजीत सिंह भी दल बल के साथ कोलकाता में आकर रह रहा था। दिसंबर महीने में कोलकाता के एक कारोबारी का अपहरण करना उसका मूल उद्देश्य था। उसे पकड़ने के लिए पंजाब पुलिस की एक टीम कोलकाता आई थी। सर्दी की सुबह उसे सड़क पर दौड़ा कर पंजाब पुलिस ने पकड़ने की कोशिश की थी। उसने पुलिस वालों पर फायरिंग भी की थी जिसकी वजह से जवाबी फायरिंग में वह घायल हो गया था। उसी साल कोलकाता में पुलिस के साथ बैंक डकैती के लिए कुख्यात गैंगस्टर वाजिद अकोंजी के साथ भी पुुुलिस का भीषण मुठभेड़ हुआ था। वह लेक टाउन के एक फ्लैट में छिपा हुआ था। ठीक जिस तरह से बुधवार को जस्सी और भुल्लर के साथ मुठभेड़ हुआ उसी तरह से उसके साथ भी मुठभेड़ हुआ था।
1991 में खालिस्तानी संगठन से जुड़े दंपत्ति तिलजला में किराए का मकान लेकर छिपे हुए थे। उन्हें पकड़ने के लिए पंजाब पुलिस आई थी और मुठभेड़ में दंपत्ति को मार गिराया गया था। 1993 में बब्बर खालसा उग्रवादी संगठन का एक सदस्य भवानीपुर के बलराम घोष स्ट्रीट में छिपा हुआ था। हालांकि उसे भी गोली मार दी गई थी लेकिन पुलिस ने नहीं बल्कि उसी के गिरोह के अन्य गुर्गे हत्या कर फरार हो गए थे। 2011 में जूते बनाने वाली कंपनी खादिम के निदेशक का अपहरण हो गया था। तभी पता चला था कि हूजी आतंकवादी संगठन का अख्तर अंसारी कोलकाता को सुरक्षित पनाहगाह बना चुका था। 2002 में अमेरिकन सेंटर पर हमले का मास्टरमाइंड भी तिलजला और तोप्सिया इलाके में छिपा हुआ था। इसी तरह से 2007 में बेंगलुरु के एक आईटी संस्थान में अधिकारियों ने छापेमारी की थी जहां आतंकवादी संगठन अल बदर के लोग छुपे हुए थे। बाद में पता चला था कि वहां से गिरफ्तार तीन आतंकवादियों में से एक मोहम्मद फैयाज ने कोलकाता के बेंटिक स्ट्रीट के एक फर्जी ठिकाने पर ही अपना पासपोर्ट बनाया था।
2009 में पाकिस्तान के आतंकवादी शहबाज इस्माइल को कोलकाता के फेयरली प्लेस से गिरफ्तार किया गया था। यहां तक कि 2015 में जोड़ासांको से पाकिस्तानी खुफिया संस्था आईएसआई का सदस्य अख्तर खान गिरफ्तार हुआ था। उससे पूछताछ के बाद गार्डनरिच से भी दो लोगों को पकड़ा गया था जो आतंकवाद की ट्रेनिंग लेकर यहां आए थे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी बताया कि इंडियन मुजाहिदीन का संस्थापक सदस्य यासीन भटकल भी एक समय कोलकाता में नाम बदलकर छिपा हुआ था। हालांकि मामूली चोरी की घटना में वह गिरफ्तार भी हुआ था लेकिन जमानत के बाद यहां से भाग कर पाक अधिकृत कश्मीर चला गया और आज दुनिया के कुख्यात आतंकवादी के रूप में जाना जाता है।