सोनिया के बाद अमरिंदर ने प्रशांत किशोर की मुलाकात, इस मीटिंग से कांग्रेस हाईकमान नाराज ?

Punjab Election से ठीक पहले Congress (कांग्रेस) में जारी अंदरूनी कलह और प्रतिष्ठा की लड़ाई देश के सबसे पुरानी पार्टी के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है.

उस सब के ऊपर अब खबर है कि CM अमरिंदर सिंह ने चंडीगड़ जाने से पहले प्रशांत किशोर से मुलाकात की है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने के बाद उनकी प्रशांत संग भी ये अहम बैठक हुई है. अब इस बैठक के मायने इसलिए ज्यादा बढ़ जाते हैं क्योंकि एक तरफ कांग्रेस का एक बड़ा तबका प्रशांत को ज्यादा विश्वासपात्र नहीं मानता है, तो वहीं सीएम अमरेंदर का उन पर खासा विश्वास है.

सीएम अमरिंदर संग प्रशांत की मीटिंग

ऐसे समय में अमरिंदर और प्रशांत किशोर की इस बैठक के बाद फिर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. जिस प्रशांत किशोर को सीएम अमरिंदर ने प्रमुख सलाहाकार बना रखा है, उनका यूं इस मौके पर सीएम से मिलना कई तरह के सवाल खड़े कर जाता है. जिस समय अमरिंदर सिंह के लिए अपनी कुर्सी बचाना बड़ी चुनौती साबित हो रही हो, जब पार्टी में नवजोत सिंह सिद्धू की वजह से बगावत के सुर उठ रहे हों, ऐसे समय में रणनीतिकार प्रशांत किशोर संग ये मुलाकात मायने रखती है.

कांग्रेस नाराज, अमरिंदर को क्यों इतना विश्वास ?

समाचार तो ऐसी भी है कि प्रशांत किशोर की कंपनी ने पंजाब चुनाव पर अपनी तैयारी शुरू भी कर दी है. उनकी तरफ से कई तरह के सर्वे किए जा रहे हैं, कई तरह के डेटा इकट्ठे किए जा रहे हैं. इसी वजह से सीएम संग प्रशांत की ये मुलाकात इतनी खबरों में है.

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वैसे जिस प्रशांत किशोर पर अमरिंदर इतना भरोसा जताते हैं, कांग्रेस के कई दिग्गज नेता उन्हें ज्यादा तवज्जो देना ठीक नहीं मानते.

इसकी एक बड़ी वजह तो ये रही है कि प्रशांत ने उन तमाम नेताओं संग काम किया जिन्होंने या तो खुलकर कांग्रेस के खिलाफ बोला या फिर जिनके रिश्ते पार्टी संग ठीक नहीं रहे. फिर चाहे वो बंगाल में ममता बनर्जी हों या फिर आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी.

इसके अलावा तमिलनाडु में भी कांग्रेस को कम सीटों पर इसलिए संतोष करना पड़ा क्योंकि प्रशांत किशोर की तरफ से एमके स्टालिन को इस सिलसिले में सलाह दी गई थी.

ऐसे में कांग्रेस के एक तबके का प्रशांत से दूरी बनाना हैरान नहीं करता है. लेकिन अमरिंदर का उनसे यूं मुलाकात करना भी हैरान नहीं करना चाहिए. पंजाब में अमरिंदर सिंह ने अपनी खुद की एक रणनीति बना रखी है और उस रणनीति में प्रशांत किशोर को एक अहम किरदार के तौर पर देखा जाता है. ये अलग बात है कि बंगाल चुनाव के बाद प्रशांत किशोर रणनीतिकार वाली पोस्ट से संन्यास लेने की बात कर चुके हैं.

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