लखनऊ : जीएसटी, शिक्षा और कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल को राजधानी लखनऊ में बनाने की मांगों के साथ आज मंगलवार को भी अवध बार एसोसिएशन, हाईकोर्ट लखनऊ और लखनऊ की अन्य बार एसोसिएशन के वकीलों की हड़ताल जारी रही। इसके तहत अधिवक्ता ने मंगलवार को भी अदालती काम नहीं किया जो कल बुधवार को भी जारी रहेगा।
ज्ञात हो कि वकीलों ने बीते सोमवार को भी अदालती काम नहीं किया और मांगों को लेकर हाईकोर्ट के गेट पर धरना दिया था। अधिवक्ताओं का आंदोलन 24 फरवरी से चल रहा है और अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत चल रहे हैं।
अवध बार के वकीलों के न्यायिक कार्य से विरत रहने का यह प्रस्ताव मंगलवार को अवध बार एसोसिएशन की बैठक में पारित किया गया। बैठक में अवध बार के अध्यक्ष एचजीएस परिहार की अध्यक्षता में संपन्न हुई, जिसमें राजधानी के अन्य अधिवक्ता संगठनों के पदाधिकारी भी शामिल हुए।
अध्यक्ष अवध बार श्री परिहार ने बताया कि हाईकोर्ट, लखनऊ पीठ का क्षेत्राधिकार बढ़ाए जाने की मांग का भी प्रस्ताव पारित किया गया। साथ ही मांगों को लेकर देश व प्रदेश के प्रमुख प्राधिकारियों से मिलने का निर्णय भी लिया गया। साथ ही अवध बार की तरफ से महासचिव शरद पाठक के जरिए एक जनहित याचिका भी कोर्ट में दायर की गई है, जिस पर बार की ओर से मंगलवार को डॉ एलपी मिश्र एडवोकेट व वरिष्ठ अधिवक्ता जेएन माथुर ने बहस किया। बताया गया कि ये बहस आगे भी जारी रहेगी।
अवध बार कार्यकारिणी ने आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए 3 मार्च को भी न्यायिक कार्य में भाग न लेने का निर्णय लिया है।
कल बुधवार 3 मार्च को अधिवक्ता बाबू उमेश चन्द्रा चौराहे से 1090 चौराहे होते हुए जी पी ओ तक बाइक और चारपहिया वाहनों की रैली निकाल कर अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे और आंदोलन को पैना करेंगे।
वहीं आज हाईकोर्ट के गेट नं 6 पर वकीलों ने सभा कर मांगों के समर्थन में धरना दिया, जो बुधवार को भी जारी रहेगा। इसमें अधिवक्ताओं ने विचार व्यक्त किए। अधिवक्ताओं के आंदोलन के कारण से अधिकांश मुकदमे अगली डेट के लिए बढ़ गए और वादकारियों को मायूस होना पड़ा।
गौरतलब हो कि जब गोरखपुर बस्ती से कोई लखनऊ इलाज कराने आ सकता है अपने व्यवसाय के लिए सामान क्रय करने आ सकता है तो वह उल्टा अपने वाद विवाद के लिए प्रयागराज क्यों जाना चाहेगा। खैर ये तो सरकारों और विधि विधनों की बात है जैसा ठीक समझें लेकिन देखने से तो लगता है कि अवध बार ने आर पार की लड़ाई का मन बना लिया है।