*ऑपरेशन ब्लू स्टार
*स्वर्ण मंदिर परिसर में सेना ने प्रवेश किया
*सिख रेजीमेंट के क़रीब 500 सैनिकों ने राजस्थान के गंगानगर ज़िले में ऑपरेशन ब्लू स्टार की ख़बरें सुनकर बग़ावत कर दी
*कांग्रेस सरकार की विफलता-ऑपरेशन ब्लू स्टार
ऑपरेशन ब्लू स्टार : तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरागांधी द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया गया। भारतीय सेना ने 03-04 जून 1984 को अमृतसर स्थित हरमंदिर साहिब परिसर को खालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले व समर्थकों से मुक्त कराने के लिए अभियान चलाया। भिंडरावाले को पाकिस्तान से भी समर्थन मिल रहा था।
03 जून को भारतीय सेना ने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर को घेरकर शहर में कर्फ्यू लगा दिया। 04 जून को सेना ने गोलीबारी शुरू की लेकिन दूसरी तरफ से जबर्दस्त पलटवार हुआ।
05 जून को स्थिति इतनी बिगड़ गयी कि सेना को बख्तरबंद गाड़ियों व टैंकों के इस्तेमाल के लिए मजबूर होना पड़ा। इस कार्रवाई में बड़ी संख्या में चरमपंथी मारे गए और गिरफ्तार किए गए। काफी संख्या में सैनिकों की भी मौत हुई।
इस कार्रवाई से सिख समुदाय की भावनाएं आहत हुईं। कई प्रमुख सिखों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया और विभिन्न क्षेत्रों के कई प्रमुख सिख शख्सियतों ने घटना के विरोध में अपने पुरस्कार लौटा दिए।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरागांधी द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया गया, इसी के फलस्वरूप 1984 में इंदिरा गाँधी को उन्ही के सुरक्षा में नियुक्त गॉर्ड ने गोलियों से भून दिया था उस समय की कांग्रेस सरकार की विफलता के कारण सम्पूर्ण सिख समुदाय नाराज हो गया था इतना ही नहीं देश के कई हिस्सों में सिख सैनिकों के विद्रोह की ख़बरें आती हैं।
सिख रेजीमेंट के क़रीब 500 सैनिकों ने राजस्थान के गंगानगर ज़िले में ऑपरेशन ब्लू स्टार की ख़बरें सुनकर बग़ावत कर दी थी। बिहार के रामगढ़ अब झारखंड में, अलवर, जम्मू, थाणे और पुणे में सिख सैनिकों ने विद्रोह किया था। रामगढ़ में विद्रोही सैनिकों ने अपने कमांडर, ब्रिगेडियर एससी पुरी की हत्या कर दी थी।भारत सरकार ने ऑपरेशन ब्लू स्टार पर एक श्वेतपत्र जारी किया, लेकिन उसे आलोचना का सामना करना पड़ा।
ऑपरेशन ब्लू स्टार में भीषण ख़ून-ख़राबा हुआ। अकाल तख़्त पूरी तरह तबाह हो गया। अकाल तख्त धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि उसे मुगल तख्त से ऊंचा बनवाया गया था। स्वर्ण मंदिर पर भी गोलियाँ चलीं। कई सदियों में पहली बार वहाँ से पाठ छह, सात और आठ जून को नहीं हो पाया। ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सिख पुस्तकालय जल गया।भारत सरकार के श्वेतपत्र के अनुसार 83 सैनिक मारे गए और 249 घायल हुए। 493 चरमपंथी या आम नागरिक मारे गए, 86 घायल हुए और 1592 को गिरफ़्तार किया गया। लेकिन ये आंकड़े विवादित माने जाते हैं।
आज 05 जून के अन्य महत्वपूर्ण घटना चक्र–
1944- द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी, इटली और जापान की नाज़ी तिकड़ी वाले देशों की राजधानी में से मित्र सेना के कब्जे में आने वाला पहला शहर रोम था।
1953- डेनमार्क में आज के दिन ही नया संविधान लागू हुआ।
1967- इजराइल ने मिस्र पर हमलाकर उसके करीब चार सौ लड़ाकू विमान नष्ट कर दिये। इजराइल मिस्र की सीमा पर शुरू हुई यह लड़ाई जल्द ही कई अन्य अरब मुल्कों तक फैल गयी।
1990- सोवियत संघ के राष्ट्रपति रहे मिखाइल गोर्बाचोव को आज के दिन ही नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। शीतयुद्ध का अंत करने में उनकी अहम भूमिका रही है।