लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैविक खेती में उत्पादन, पैकेजिंग और विपणन को पंख लगाने के लिए अब किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को सशक्त बनाने में जुट हुए हैं। सरकार की मंशा के अनुरूप कार्ययोजना तैयार कर ली गई है।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बुधवार को कहा कि ब्लॉकवार गठित क्लस्टरों को अनिवार्य रूप से एफपीओ में तब्दील किया जाएगा। उत्पादों की ब्रांडिंग के लिए लोगो बनाए जाएंगे और विपणन के विस्तार के लिए नगरीय क्षेत्र के आवासीय इलाकों में सप्ताह में दो दिन स्पेशल कैम्प लगाए जाएंगे। ये सभी कार्य परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई)/नमामि गंगे योजना के अंतर्गत होंगे।
उल्लेखनीय है कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने को लेकर अपर मुख्य सचिव, कृषि, देवेश चतुर्वेदी ने कृषि निदेशक, मंडी परिषद के निदेशक, सभी जिलाधिकारियों एवं यूपी डास्प के तकनीकी समन्वयक को नई कार्ययोजना के संबंध में दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं।
उन्होंने जैविक खेती को विस्तारित करने के लिए पहले से कार्यरत क्लस्टरों को एफपीओ के रूप में परिवर्तित करने को कहा है। इसके लिए विकास खंडों को एक इकाई मानकर शुरुआत होगी। पिछले साल तक गठित क्लस्टरों को एफपीओ में परिवर्तित करने की कार्यवाही 31 अगस्त तक पूरी कर ली जाएगी।
स्थापित होगी ग्रेडिंग, सॉर्टिंग एवं पैकेजिंग इकाई–
जैविक खेती के उत्पादों की ग्रेडिंग, सॉर्टिंग एवं पैकेजिंग के लिए इकाइयां लगाई जाएंगी। इसके लिए धनराशि की व्यवस्था भी सुनिश्चित कर ली गई है। एफपीओ के गठित होने पर प्रति किसान दो हजार रुपये वैल्यू एडेड कार्यों के लिए उपलब्ध रहते हैं। इससे ही इकाइयों को लगाने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
इन इकाइयों के स्थापित होने से अच्छी पैकेजिंग में जैविक खेती के उत्पाद के विपणन में काफी सहूलियत होगी। साथ ही स्थानीय स्तर पर ग्रेडिंग, पैकिंग और तैयार उत्पादों के परिवहन में स्थानीय स्तर पर युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। इस बात का खास ख्याल रखा जाएगा कि पैकेजिंग में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल न हो।
स्थानीय मांग के अनुरूप बनेगा लोगो–
जैविक उत्पाद के विपणन को बढ़ावा देने के लिए हर जिले में स्थानीय मांग के अनुरूप लोगो तैयार कराया जाएगा। लोगो बनाने का कार्य 31 जुलाई तक कर लिया जाएगा। इसके बाद लोगो का लोकार्पण कराकर प्रचार प्रसार के जरिये इसकी ब्रांडिंग की जाएगी।
इसी क्रम में नमामि गंगे परियोजना के तहत गठित समूहों के प्रमाणित कृषि उपजों को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित नमामि गंगे लोगो का उपयोग भी विपणन में किया जाएगा।
मंडी में जैविक कृषि उपज के लिए होगा अलग आउटलेट–
जैविक कृषि उपज की बेहतर मार्केटिंग के लिए हर जिले में मुख्यालय स्थित कृषि मंडी में एक अलग आउटलेट खोला जाएगा।
इसके लिए जिलाधिकारी और मंडी परिषद को निर्देशित किया गया है। परम्परागत कृषि उत्पादों की नीलामी के लिए भी कृषि मंडियों में अलग व्यवस्था होगी।
इसकी जिम्मेदारी यूपी डास्प के तकनीकी समन्वयक संयुक्त कृषि निदेशक को दी गई है।
मार्केटिंग के लिए शहर की कॉलोनियों में लगेंगे कैम्प–
जैविक कृषि उपज के बाजार का आकार बढ़ाने के लिए शहर की आवासीय कॉलोनियों में शनिवार एवं रविवार को कैम्प लगाए जाएंगे।
कैम्प लगाने के लिए शासकीय आवासीय कॉलोनियों को प्राथमिकता दी जाएगी। इन उत्पादों को पराग के बिक्री केंद्रों पर भी डिस्प्ले एवं बिक्री के लिए रखने की योजना है।