दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) के वकील से पांच बार के पैरालंपियन निशानेबाज नरेश कुमार शर्मा की उस याचिका पर संबंधित पक्षों से निर्देश लेने को कहा जो उन्होंने आगामी तोक्यो खेलों के लिए चयन नहीं किए जाने की वजह से दायर की ।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने इस मुद्दे पर निर्देश लेने के लिए पीसीआई के वकील को समय दिया और मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 जुलाई की तारीख तय की ।
न्यायालय ने शर्मा के वकील द्वारा संबंधित पक्षों के ज्ञापन में संशोधन करने और पीसीआई द्वारा शर्मा की जगह चुने गये दीपक में भाग लेने के लिए एक मौखिक प्रार्थना की अनुमति दी।
अर्जुन पुरस्कार विजेता शर्मा ने आरोप लगाया कि उन्होंने सभी पात्रता मानदंड और न्यूनतम क्वालीफाइंग स्कोर हासिल किये लेकिन इसके बाद भी चयन पैनल, भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) ने जानबूझकर और मनमाने ढंग से पैरालंपिक के लिए उनके नाम की अनदेखी की।
याचिका में मांग की गयी है कि न्यायालय पीसीआई को ‘आर7 स्पर्धा’ के लिए चयनित निशानेबाजों की सूची में शर्मा के नाम को शामिल करने का निर्देश दे।
शर्मा के वकील जतन सिंह ने तर्क दिया कि चयन प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी नहीं थी और समिति याचिकाकर्ता के प्रति पक्षपाती थी।
सुनवाई के दौरान पीसीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता नवीन कुमार चौधरी ने कहा कि शर्मा ने अब तक एक भी पदक नहीं जीता है और वह केवल परेशानी पैदा करने के लिए भाग लेते रहते हैं ।
अधिवक्ता सुशांत सिंह और अमित कुमार शर्मा के माध्यम से दायर अपनी याचिका में, उन्होंने तर्क दिया है कि चयन प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी नहीं थी और समिति ने उनके खिलाफ पक्षपाती रवैया अपनाया।