भारतीयता की रक्षा के लिए महाराजा सुहेलदेव के योगदान की अनदेखी की गईः प्रधानमंत्री

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इतिहास लेखकों द्वारा इतिहास निर्माताओं के साथ किए गए अन्याय को अब ठीक किया जा रहा है: प्रधानमंत्री

महामारी की हताशा को पीछे छोड़ते हुए यह बसंत भारत के लिए नई उम्मीदें लेकर आया है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री मोदी ने बसंत पंचमी के अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि इस बसंत ने भारत के लिए महामारी की निराशा को पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने कामना की है कि मां सरस्वती भारत और हर उस देशवासी के ज्ञान और विज्ञान को अपना आशीर्वाद प्रदान करें, जो अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से राष्ट्र के निर्माण में शामिल है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से महाराजा सुहेलदेव स्मारक और चित्तौरा झील के विकास कार्यों की आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री ने महाराजा सुहेलदेव के नाम पर एक मेडिकल कॉलेज भवन का भी उद्घाटन किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का इतिहास केवल औपनिवेशिक शक्तियों या औपनिवेशिक मानसिकता वाले लोगों द्वारा लिखा गया इतिहास ही नहीं है, अपितु भारत के इतिहास को आम लोगों ने अपनी लोककथाओं में भी पोषित किया है और इसे पीढ़ियों ने आगे बढ़ाया है। उन्होंने इस तथ्य पर अफसोस जताते हुए कहा कि जिन लोगों ने भारत और भारतीयता के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, उन्हें उचित महत्व नहीं दिया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कहा कि अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में प्रवेश करने के साथ भारतीय इतिहास लेखकों द्वारा भारतीय इतिहास निर्माताओं के विरुद्ध की गई अनियमितताओं और अन्याय को अब ठीक किया जा रहा है और इस दिशा में उनके योगदान को स्मरण करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

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प्रधानमंत्री ने लालकिले से लेकर अंडमान निकोबार तक नेताजी सुभाषचंद्, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में सरदार पटेल और पंच तीर्थ के माध्यम से बाबा साहेब अंबेडकर के योगदान को स्मरण करने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ऐसे अनेकों व्यक्तित्व हैं जिन्हें विभिन्न कारणों से मान्यता नहीं मिली। प्रधानमंत्री ने पूछा कि चौरी-चौरा के बहादुरों के साथ क्या हुआ था, क्या हम इसे भूल सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीयता की रक्षा के लिए महाराजा सुहेलदेव के योगदान की भी अनदेखी की गई। उन्होंने कहा कि महाराजा सुहेलदेव की पाठ्यपुस्तकों में अनदेखी के बावजूद उन्हें अवध, तराई और पूर्वांचल के लोकगीतों ने लोगों के दिलों में जीवित रखा है। प्रधानमंत्री ने एक संवेदनशील और विकासोन्मुख शासक के रूप में उनके योगदान को याद किया। प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि महाराजा सुहेलदेव के लिए यह स्मारकआने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि मेडिकल कॉलेज की स्थापना और स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के साथ, इस आकांक्षी जिले और आस-पास के क्षेत्रों में लोगों के लिए जीवन को बेहतर बनाया जा सकेगा। प्रधानमंत्री ने दो वर्ष पहले महाराजा सुहेलदेव की स्मृति में एक डाक टिकट भी जारी किया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में निर्मित इतिहास, आस्था और आध्यात्मिकता से संबंधित स्मारकों का सबसे बड़ा लक्ष्य पर्यटन को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पर्यटन और तीर्थयात्रा दोनों क्षेत्रों में भी समृद्ध है और प्रदेश में इसकी संभावनाएं बहुत अधिक हैं। उत्तर प्रदेश में पर्यटन के विकास के लिए अयोध्या, चित्रकूट, मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, कुशीनगर, श्रावस्ती आदि जैसे भगवान राम, श्री कृष्ण और बुद्ध के जीवन से संबंधित स्थलों पर रामायण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, बौद्ध सर्किट विकसित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के परिणाम दिखाई देने लगे हैं और अब उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों से पर्यटकों की अधिकतम संख्या को आकर्षित करता है। विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के मामले में भी उत्तर प्रदेश देश के शीर्ष तीन राज्यों में शामिल है।

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प्रधानमंत्री ने कहा की कि उत्तर प्रदेश में पर्यटकों के लिए आवश्यक सुविधाओं के साथ-साथ आधुनिक कनेक्टिविटी को भी बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अयोध्या हवाई अड्डा और कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भविष्य में घरेलू और विदेशी दोनों ही तरह के पर्यटकों के लिए बहुत उपयोगी साबित होंगे। उत्तर प्रदेश में एक दर्जन छोटे और बड़े हवाई अड्डों पर काम चल रहा है, जिनमें से कई पूर्वांचल में ही हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, गंगा एक्सप्रेसवे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, बलिया लिंक एक्सप्रेसवे जैसी आधुनिक और चौड़ी सड़कें पूरे उत्तर प्रदेश में बनाई जा रही हैं और यह एक तरह से आधुनिक उत्तर प्रदेश में आधुनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण का शुभारंभ है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश दो बड़े समर्पित फ्रेट कॉरिडोर का जंक्शन है। उत्तर प्रदेश में आधुनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण ने निवेशकों को उत्तर प्रदेश में उद्योग स्थापित करने के लिए उत्साहित किया है। इससे उद्योगों के साथ-साथ युवाओं के लिए भी बेहतर अवसर पैदा हो रहे हैं।

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