शीर्ष अदालत पहुंचे अधिवक्ता, दायर की जनहित याचिका-
शीर्ष अदालत में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें एक वकील ने मांग की है कि चिलचिलाती गर्मी के मौसम में वकीलों के ड्रेस कोड में ढील दी जाए. याचिका में बार काउंसिल ऑफ इंडिया को अपने नियमों में संशोधन करने, उन्हें काले कोट और गाउन पहनने से छूट देने का निर्देश देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है.
उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में भयंकर गर्मी होने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वकीलों को कोट और गाउन पहनने पड़ते हैं. वकील शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है, जिसमें बीसीआई से जुड़े हुए प्रत्येक राज्य संघ को अपने नियमों में संशोधन करने और उस विशेष राज्य के लिए प्रचलित गर्मी के महीनों का निर्धारण करने के लिए उचित निर्देश या आदेश देने की मांग की गई है, ताकि गर्म मौसम के दौरान तापमान के मुताबिक काले कोट और गाउन नहीं पहनने कि छूट दी जा सके.
15 दिनों में हो सकती है सुनवाई–
त्रिपाठी ने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट से बीसीआई को अपने नियमों में संशोधन करने, उन्हें गर्मियों के महीनों में काले कोट और गाउन पहनने से छूट देने के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में आवश्यक निर्देश देने की मांग कर रहा हूं. उनकी जनहित याचिका 15 दिनों के भीतर सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिए आ सकती है.
त्रिपाठी ने अपनी याचिका में कहा कि आरामदायक कामकाजी माहौल से काम में दक्षता आती है. जबकि असहज और असुविधाजनक काम करने की स्थिति में निराशा और अक्षमता हो सकती है. त्रिपाठी ने कहा, ‘असहज कपड़े या वर्दी तनाव, चिंता और बेचैनी का कारण बन सकते हैं. ड्रेस कोड वास्तव में पेशे और गौरव का प्रतीक है, लेकिन अनुकूल कार्य वातावरण के बीच एक विवेकपूर्ण संतुलन बनाना भी बहुत जरूरी है.’
गर्मी में परेशानी की वजह ड्रेस कोड–
कुछ राज्यों में गर्मियों में और उमस भरी गर्मी में लंबे मौसम के दौरान गाउन के साथ काले ब्लेजर वकीलों को गर्मी में और अधिक झुलसा देते हैं. काला रंग सबसे अधिक गर्मी अवशोषित करता है. त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर अपनी याचिका में कहा कि इसलिए काले कोट और कपड़े शरीर को अधिक गर्म करते हैं और गर्मी के मौसम में परेशानी का कारण बनते हैं.