भारतीय सम्पत्ति को जप्त करने की प्रक्रिया केयर्न ने किया शुरू,विशेष –

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पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि केयर्न ने इस मामले में एयर इंडिया को उसका देनदार घोषित किए जाने का अनुरोध किया है.

ब्रिटेन में पेट्रोलियम कंपनी केयर्न एनर्जी ने 1.2 अरब डॉलर के उस आर्बिट्रेशन अवॉर्ड को लागू करने के लिए भारतीय विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया को कोर्ट में घसीटा है, जिसे उसने भारत के खिलाफ टैक्स विवाद में जीता था.

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने इस बात की जानकारी दी है. इस कदम से भारत सरकार पर 1.2 अरब डॉलर के साथ-साथ ब्याज का भुगतान करने का दबाव बढ़ गया है.

इस मामले में न्यूज एजेंसी पीटीआई ने बताया है कि केयर्न एनर्जी ने भारत सरकार के खिलाफ 1.7 अरब डॉलर की वसूली के सिलसिले में अमेरिका में एक मुकदमा दायर किया है. इसके तहत कंपनी एयर इंडिया जैसी भारत सरकार की कंपनियों की विदेशों में स्थित संपत्तियों को जब्त करा सकती है.

जाने विस्तार से क्या है मामला?

यह मामला आयकर कानून में पिछली तारीख से प्रभावी एक संशोधन के तहत कंपनी पर लगाए गए टैक्स से जुड़ा है. केयर्न ने इसे अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता पंचाट में चुनौती दी थी और पंचाट का फैसला उसके पक्ष में आया.

केयर्न ने 14 मई को न्यूयॉर्क के दक्षिण जिले की अदालत में मुकदमा दर्ज कर भारत सरकार के स्वामित्व वाली विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया को भारत की सरकार का ही अभिन्न रूप माने जाने की अपील की है. इसके आधार पर वह विदेशों में स्थित भारत सरकार की संपत्तियां जब्त कर अपनी रकम वसूलना चाहती है. उसका कहना है कि एयर इंडिया और भारत सरकार एक ही हैं.

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कंपनी ने मध्यस्थता फोरम की डिक्री को लेकर अमेरिकी, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, सिंगापुर और नीदरलैंड की अदालतों का रुख किया है. मध्यस्थता फोरम ने पिछली तारीख से कानून संशोधन के माध्यम से कंपनी पर भारत में 10247 करोड़ रुपये का टैक्स लगाए जाने की मांग को खारिज कर दिया है.

उसने आयकर विभाग की ओर से कंपनी के बेचे गए शेयरों के मूल्य, जब्त किए गए लाभांश और रोके गए टैक्स-रिफंड को भी वापस किए जाने का आदेश दिया है.

केयर्न ने कहा है कि वो ‘शेयरधारकों के हित की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठा रही है.’ वहीं, भारत सरकार ने कहा है कि टैक्स लगाना हर सरकार का सार्वभौमिक अधिकार है और वो कंपनी की ओर से वसूली की इस तरह की ‘गैरकानूनी कार्रवाई के प्रति अपना बचाव करेगी.’

कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा कि ‘मध्यस्थता अदालत की डिक्री से समाधन होता न देख वह शेयरधारकों के हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठा रही है.’

केयर्न ने भारत में तेल और गैस की खोज और उत्खनन के काम में 1994 में पहली बार कदम रखा था. उसे राजस्थान में तेल का बड़ा भंडार मिला. उसने 2006 में केयर्न इंडिया को मुंबई शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराया.

इसके 5 साल बाद सरकार ने पिछली तारीख से कानून संशोधन के प्रावधान के तहत कंपनी पर 10247 करोड़ के पूंजीगत लाभ-कर की मांग का नोटिस भेज दिया था जिसमें लागत और ब्याज आदि भी शामिल है. यह मामला भारत में विभागीय और न्यायिक मंचों से होते हुए अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता मंच में पहुंच गया.

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हेग की मध्यस्थता अदालत के दिसंबर 2020 के फैसले के बाद भी फरवरी में केयर्न के प्रतिनिधियों की तब के राजस्व सचिव अजय भूषण के साथ तीन बैठके हुईं लेकिन बात नहीं बनी.

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