हाईकोर्ट में लंबित मुकदमों में महीनों तक जवाब दाखिल न करने की राज्य और केंद्र सरकार की प्रवृत्ति पर कड़ी नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने कई मामलों में दोनों सरकारों पर हर्जाना लगा दिया है।
इस कार्रवाई की जद में हाईकोर्ट प्रशासन भी आया है और जवाब दाखिल करने में देरी पर कोर्ट ने जिम्मेदारी अधिकारी से हर्जाना जमा कराने का आदेश दिया है।
याचिकाओं की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति श्री विवेक अग्रवाल के समक्ष एक के बाद कई ऐसी याचिकाएं आईं, जिनमें महीनों पहले सरकार या संबंधित पक्षकार से जवाब मांगा गया था।
पाया गया कि कई-कई तारीखें लगाने के बावजूद इनमें जवाब दाखिल नहीं किए गए हैं, जिसकी वजह से मुकदमे लंबित हैं। इस पर सख्त रुख अपनाते हुए कोर्ट ने संबंधित पक्षों को हर्जाना जमा करने की शर्त पर जवाब दाखिल करने का समय दिया।
मामला एक –
ब्रजेश की याचिका पर कोर्ट ने भारत सरकार के अधिवक्ता को 26 अगस्त 20 को जवाब दाखिल करने का समय दिया था। इसके बाद याचिका 29 सितंबर 20, 19 अक्तूबर 20 व एक दिसंबर 20 को सूचीबद्ध की गई। किंतु जवाब दाखिल नहीं किया गया और केंद्र सरकार के अधिवक्ता भी हाजिर नही थे। इस पर कोर्ट ने पांच हजार रुपये हर्जाना लगाया है और दो हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिका पर 16 दिसंबर को सुनवाई होगी।
मामला दो –
इंद्रजीत सिंह केस में राज्य सरकार के स्थायी अधिवक्ता को 28 फरवरी 20 को जवाब दाखिल करने का समय दिया गया। इसके बाद याचिका 17 मार्च, 15 जून, 27 जुलाई, एक सितंबर, एक अक्तूबर और एक दिसंबर को सूचीबद्ध हुई। किंतु जवाब दाखिल नहीं किया गया। अब कोर्ट ने राज्य सरकार को 10 हजार हर्जाना जमा करने की शर्त पर दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का समय दिया है और कहा है कि जवाब नहीं आया तो बिना जवाब के याचिका तय की जाएगी। तथा हर्जाना राशि महानिबंधक वसूल कर हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति में जमा कराएंगे।
मामला तीन-
अमरदीप कुमार मौर्य केस में राज्य सरकार ने जवाब दाखिल किया। याची ने प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने का समय मांगा। कोर्ट ने इसमें पक्षकार प्रबंध समिति से भी 12 दिसंबर 19 को जवाब मांगा था। मुकदमा 14 फरवरी 20, 24 सितंबर 20, 23 नवंबर 20 व एक दिसंबर 20 को सूचीबद्ध था किंतु जवाब नहीं आया। कोर्ट ने प्रबंध समिति को दो सप्ताह का समय दिया और 10 हजार हर्जाना जमा करने की शर्त लगाई है।
मामला चार
लाल जी सोनकर की याचिका पर हाईकोर्ट महानिबंधक कार्यालय को एक नवंबर 19 को जवाब देने का निर्देश दिया गया। महानिबंधक कार्यालय ने जवाब नहीं दिया। इसके बाद याचिका 18 नवंबर 19, 26 नवंबर 19, 11 दिसंबर 19, 19 दिसंबर, 19, 9 जनवरी 20, 27 जनवरी 20, 13 फरवरी, 20, 24 फरवरी 20, 8 अक्तूबर 20 व एक दिसंबर 20 को सूचीबद्ध की गई किंतु हलफनामा दाखिल नहीं किया गया। तो कोर्ट ने पांच हजार हर्जाना लगाते हुए सात दिन में जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि जवाब दाखिल करने में देरी करने वाले अधिकारी से हर्जाना जमा कराया जाए। यदि जवाब नहीं दिया तो महानिबंधक आठ दिसंबर को हाजिर हों।