राज्यों में कांग्रेस का झगड़ा बना सियासी ड्रामेबाजी, हरियाणा कर्नाटक गुजरात राजस्थान में जमकर किचकिच-

Estimated read time 1 min read

Congress (कांग्रेस) में पंजाब का झगड़ा अभी सुलझा भी नहीं है कि पड़ोसी राज्य हरियाणा में पार्टी की उठापटक खुलेआम सड़क पर आ गई है। अंदरूनी गुटबाजी और उठापटक की कांग्रेस की यह सियासी ड्रामेबाजी केवल पंजाब-हरियाणा ही नहीं बल्कि राजस्थान से कर्नाटक और गुजरात से लेकर महाराष्ट्र तक पार्टी हाईकमान को हलकान कर रहा है। चौतरफा असंतोष, उठापटक और गुटबाजी से पार्टी की बढ़ रही चुनौतियों का हल निकालने के लिए हाईकमान ने बैठकों के दौर तेज कर दिए हैं मगर राज्यों में जारी कांग्रेस के संकट का समाधान अभी दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है।

पंजाब के CM कैप्टन अमरिंदर सिंह की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मंगलवार को अहम मुलाकात अभी प्रस्तावित ही है कि सोमवार को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र ¨सह हुड्डा के समर्थक 21 विधायकों ने कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सैलजा को हटाने का दबाव बढ़ा दिया है।

राज्यों में शुरू हो रहा घमासान सीधे कांग्रेस नेतृत्व के सियासी इकबाल को चुनौती है। खासकर इसलिए कि प्रदेश अध्यक्ष सैलजा कांग्रेस हाईकमान की करीबी हैं और सोनिया गांधी से उनकी निजी निकटता सार्वजनिक है। इसके बावजूद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जिस तरह सैलजा को हटाने के लिए पार्टी में खुले विद्रोह की स्थिति पैदा की है, उससे साफ है कि सूबे में अपनी सियासी पकड़ के दम पर वे अब कांग्रेस संगठन पर भी कब्जा जमाना चाहते हैं।

कांग्रेस विधायक दल के नेता के तौर पर पार्टी के बहुमत विधायकों को हुड्डा पहले ही अपने पक्ष में गोलबंद कर चुके हैं। वैसे विधायकों को गोलबंद कर हुड्डा पहले ही अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को राज्यसभा सीट दिलवा कर दबाव के सहारे नेतृत्व से अपनी बात मनवाने का एक प्रयोग कर चुके हैं।

ALSO READ -  27 हिंदू और जैन मंदिरों की जगह कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद पर दावा करनेवाली याचिका पर सुनवाई टली-

इस बीच भूपेंद्र हुड्डा ने सोमवार को दिल्ली में अपने समर्थक 21 विधायकों के साथ सैलजा को हटाने के लिए खुली बैठक की और फिर उसके बाद इन विधायकों को केसी वेणुगोपाल से मिलने के लिए भेज दिया। जाहिर तौर पर विधायकों ने सैलजा को हटाकर हरियाणा कांग्रेस की कमान भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सौंपने की मांग करते हुए अपने तेवर भी दिखाए।

हरियाणा कांग्रेस की इस सिरदर्दी के बीच कांग्रेस नेतृत्व अब पंजाब में कैप्टन अमरिंदर और सिद्धू के झगड़े का अंतिम समाधान निकालने के लिए बेचैन है। इस लिहाज से सोनिया गांधी और कैप्टन के बीच मंगलवार को होने वाली मुलाकात संकट के पटाक्षेप का रास्ता निकाल सकती है। इसमें सिद्धू की वापसी के फार्मूले पर हाईकमान कैप्टन को राजी करेगा। सिद्धू पहले ही हाईकमान से चर्चा कर चुके हैं और पिछले हफ्ते उनकी राहुल और प्रियंका से लंबी मुलाकातें हुई थीं। इन मुलाकातों में सुलह का रास्ता निकलने के संकेत दिए गए थे। इसके बावजूद पंजाब के बिजली संकट के बहाने सिद्धू ने कैप्टन पर निशाना साधने का मौका नहीं छोड़ा।

गुजरात कांग्रेस में भी नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर खींचतान लंबे समय से चल रही है। भरत सोलंकी एक बार फिर सूबे की कमान थामने के लिए प्रबल दावेदार के रूप में पेशबंदी कर रहे हैं तो शक्ति सिंह गोहिल, अर्जुन मोडवाडिया से लेकर सिद्धार्थ पटेल भी इस रस्साकशी में शामिल हैं। इस अंदरूनी खींचतान के कारण ही गुजरात कांग्रेस का बदलाव अटका हुआ है। पंजाब में जहां अगले साल के शुरू में चुनाव होने हैं वहीं गुजरात में अगले साल के अंत में चुनाव हैं और कांग्रेस की खटपट उसकी सियासी चुनौती बढ़ा रही है।

ALSO READ -  इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लखनऊ स्थित 16 स्कूलों का निरीक्षण करने के लिए समिति का गठन का आदेश - जाने विस्तार से

इसी तरह कर्नाटक के चुनाव में भी दो साल से कम समय रह गया है और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार और विधायक दल के नेता सिद्धारमैया के बीच खींचतान सार्वजनिक होने लगी है। शिवकुमार, कांग्रेस से बगावत कर पाला बदलने वाले 14 विधायकों को वापस पार्टी में लाने के पक्ष में हैं तो सिद्धारमैया ने साफ कह दिया है कि चाहे धरती फट जाए वे ऐसा नहीं होने देंगे। शिवकुमार कांग्रेस हाईकमान के नजदीकी माने जाते हैं। साफ है कि नेतृत्व की दुविधा और कमजोरी को भांप पार्टी के क्षेत्रीय छत्रप अपना दम खम दिखा रहे हैं।

राजस्थान में सचिन पायलट और उनके समर्थकों को पार्टी नेतृत्व सरकार व संगठन में उचित प्रतिनिधित्व दिए जाने के पक्ष में है मगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अभी तक तैयार नहीं हुए हैं। दिलचस्प यह भी है कि गहलोत हाईकमान के निकट हैं मगर सूबे की सियासत में अपनी बादशाहत कायम रखने की रणनीति के तहत वे सचिन पायलट प्रकरण में नरमी नहीं बरत रहे।

You May Also Like