वर्षों से एलियन का जवाब नहीं आया, आख़िर क्यों?

images 2021 02 05T232602.554
images 2021 01 30T002418.819
एलियन (संकल्पना)

इंसान बरसों से एलियन की तलाश कर रहा है. कभी उसकी तलाश के लिए दूरबीन की मदद ली जाती है, तो कभी अंतरिक्ष में दूरबीन और यान भेजकर उसे तलाशा जाता है.

बहुत दिनों से धरती से रेडियो तरंगें भी भेजी जा रही हैं ताकि अंतरिक्ष में कोई इंसानों जैसी बस्ती हो तो वो उन्हें सुनकर उनका जवाब दे.

मगर अब तक एलियन ने इंसान के किसी भी संदेश का जवाब नहीं दिया है. क़रीब सौ साल हो चुके जब से हम ब्रह्मांड में अपनी मौजूदगी के संदेश प्रसारित कर रहे हैं.

दुनिया की पहली सबसे बड़ी घटना जिसका बड़े पैमाने पर टीवी पर प्रसारण हुआ था, वो 1936 में बर्लिन में हुए ओलंपिक खेल थे.

इस दौरान पैदा हुई रेडियो तरंगें अब तक करोड़ों किलोमीटर का सफ़र तय कर चुकी होंगी. मशहूर सीरियल ‘गेम ऑफ थ्रोन’ की रेडियो तरंगें अब तक हमारे सबसे क़रीबी सौर मंडल से भी आगे पहुंच चुकी होंगी.

मगर, एलियन का जवाब अब तक नहीं आया. आख़िर क्यों?

इसकी कई वजहें हो सकती हैं. हो सकता है कि जैसा हम सोच रहे हों, वैसे एलियन ब्रह्मांड में हों ही न. या इतनी दूर हों कि उन तक अभी धरती से निकले रेडियो संदेश पहुंचे ही न हों. या फिर ब्रह्मांड के किसी और कोने में जो जीवन हो, वो अभी कीटाणु के दर्जे से आगे न बढ़ा हो.

अंतरिक्ष में एलियन की तलाश में जुटी संस्था एसईटीआई (सेटी) यानी ‘सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस’ से जुड़े सेथ शोस्टाक कहते हैं कि, “हमने एलियन के बहुत सारे रूप फ़िल्मों में देखे हैं. इसलिए उनकी एक ख़ास तस्वीर हमारे ज़हन में बन गई है. मगर हो सकता है कि अगर उनका संदेश आए भी तो वो वैसे न हों, जैसा हमने सोच रखा हो.”

ALSO READ -  असम में बोले पीएम, बरसों से राज्य के साथ हुआ सौतेला व्यवहार 

सेटी पिछले पचास सालों से अंतरिक्ष में एलियन को ढूंढ रही है. अब तक कोई कामयाबी नहीं मिली है.

शोस्टाक सलाह देते हैं कि हमें ब्रह्मांड में कहीं और एलियन तलाशने करने की बजाय अपने भविष्य के बारे में सोचना चाहिए.

शोस्टाक के मुताबिक़ इंसान आज बनावटी दिमाग़ वाली मशीनें तैयार करने में जुटा है. ऐसे में अगर ब्रह्मांड में कहीं एलियन होंगे भी तो वो तरक़्क़ी के मामले में इंसान से काफ़ी आगे निकल चुके होंगे.

ऐसे में हो ये भी सकता है कि किसी और ग्रह के जीवों ने बनावटी बुद्धि का विकास कर लिया हो. ऐसा भी हो सकता है कि ऐसी मशीनों ने आख़िर में अपने बनाने वालों को ही ख़त्म कर दिया हो.

अब जैसे इंसान ने ही जिस समय से पहला रोबोट बनाया है, तब से उसमें काफ़ी फेरबदल कर डाला है.

आज रोबोट से एक से बढ़कर एक काम लिया जा रहा है. वो बुद्धिमानी के मामले में कई बार इंसानों से आगे भी निकल गए हैं. तो ऐसा भी हो सकता है कि आगे चलकर ये रोबोट इंसान के क़ाबू से ही बाहर निकल जाएं!

पूर्व अंतरिक्ष यात्री और लेखक स्टुअर्ट क्लार्क कहते हैं कि, “अगर ये बनावटी दिमाग़ वाली मशीनें इतनी तेज़ रफ़्तार हो जाएं कि इंसान का आदेश मानने से इंकार कर दें, तो बहुत मुमकिन है कि आगे चलकर ये अपना राज क़ायम करने की कोशिश करें.

ऐसी बहुत-सी कल्पनाएं इंसान ने कर रखी हैं. इनकी मिसालें हम ‘द टर्मिनेटर’ जैसी फ़िल्मों से लेकर बर्सर्कर बुक्स तक में देख चुके हैं.

ALSO READ -  जुडिशल ऑफिसर्स के सुरक्षा को लेकर हलफनामा दायर नहीं होने पर शीर्ष अदालत सख्त-

वैसे कुछ लोग ये भी कहते हैं कि इंसानों जैसी सोच वाली मशीनें बनाना क़रीब-क़रीब नामुमकिन है. ऐसा होगा या नहीं – आज तो कहना मुश्किल है.

पर, स्टुअर्ट क्लार्क कहते हैं कि ऐसी सोच से हम एलियन की अपनी तलाश को एक दायरे में बांध देते हैं.

एलियन तलाशने वाली संस्था ‘सेटी’ कुछ रेडियो दूरबीनों की मदद से अंतरिक्ष में एलियन के संदेश सुनने की कोशिश करती है. ख़ास तौर से उन जगहों पर जहां अंतरिक्ष यानों ने नए ग्रह की संभावना जताई है. इन ग्रहों पर पानी और हवा होने की उम्मीद है.

दिक़्क़त ये है कि मशीनी एलियन को रहने के लिए पानी और हवा की ज़रूरत ही नहीं.

शोस्टाक कहते हैं कि ये मशीनी एलियन ब्रह्मांड में कहीं भी हो सकते हैं. हां इन्हें ऊर्जा की बड़े पैमाने पर ज़रूरत होगी. इसलिए हमें अंतरिक्ष के उन कोनों में झांकना चाहिए जहां पर ऊर्जा के बड़े स्रोत होने की संभावना हो.

शोस्टाक सलाह देते हैं कि इसके लिए सेटी को अपनी दूरबीनें धरती पर लगाने की बजाय अंतरिक्ष यानों के साथ अंतरिक्ष में भेजनी चाहिए. अब हर स्पेसक्राफ्ट भेजने वाला देश इसके लिए तैयार होगा, ये कहना ज़रा मुश्किल है.

दूसरा तरीक़ा ये हो सकता है कि धरती से किसी ख़ास ग्रह या ब्रह्मांड के किसी ख़ास कोने की तरफ़ रेडियो संदेश भेजे जाएं. हालांकि स्टीफ़न हॉकिंग जैसे वैज्ञानिक इसका विरोध करते हैं.

फिलहाल तो सेटी रेडियो दूरबीनों की मदद से ही एलियन की तलाश जारी रखेगा. हां, आगे चलकर ये विकल्प तलाशा जा सकता है.

उन्हें डर है कि इससे धरती के लिए ख़तरा बढ़ जाएगा क्योंकि ये भी हो सकता है कि हमसे ताक़तवर जीव ब्रह्मांड में कहीं हों और उन्हें हमारे बारे में अब तक पता न हो. मगर रेडियो संदेश मिलते ही वो हमें तलाशते हुए आ जाएं. ऐसे में मानवता का भविष्य ख़तरे में पड़ सकता है.

ALSO READ -  हम सत्याग्रही किसानों के साथ हैं- राहुल

तो क्या हम कभी एलियन को तलाश पाएंगे?

शोस्टाक और स्टुअर्ट क्लार्क कहते हैं कि न तो इससे इनकार किया जा सकता है. न ही पक्के तौर पर कहा जा सकता है कि हां, इंसान एलियन को ढूंढ निकालेगा.

तब तक, हमें तलाश तो जारी रखनी होगी.

Translate »