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हमारे शरीर पर नवग्रहों का प्रभाव और उनके पीड़ा का वानस्पतिक निदान, विशेष-

सुख-समृद्धि की कामना लिए अक्सर ज्योतिषविद् हमें महंगे रत्नों को धारण करने की सलाह देते हैं। नौ ग्रहों से जुड़े इन रत्नों में कई ऐसे रत्न हैं, जिन्हें धारण करना प्रत्येक व्यक्ति के बस की बात नहीं होती है।

ऐसे में अक्सर आदमी धर्म संकट में फंस जाता है​ कि आखिर वह शुभ फलों की प्राप्ति के लिए क्या करे? यदि आप भी इसी धर्म संकट में फंसे हैं तो ​बिल्कुल भी निराश न हों ज्योतिष में 9 ग्रहों से जुड़े 9 पेड़-पौधों की जड़ के बारे में विस्तार से बताया गया है। तो आइए जानते हैं कि ग्रह विशेष की शुभता पाने के लिए कौन से पौधे की जड़ धारण करना चाहिए –

– सूर्य की शुभता के लिए रविवार के दिन बेल की जड़ को लाल कपड़े में विधि-विधान से पूजा करने के बाद धारण करें।

बेल की जड़ सूर्य के रत्न माणिक्य के समान शुभ फल प्रदान करती है।

– चंद्रमा ग्रह की शुभता को पाने के लिए खिरनी की जड़ को सफेद कपड़े में सोमवार के दिन धारण करें। खिरनी की जड़ आपको मोती के समान शुभ प्रदान करेगी।

– मंगल ग्रह की कृपा पाने के लिए अनंतमूल की जड़ मंगलवार के दिन लाल कपड़े में धारण करें। अनंतमूल या फिर कहें खेर की जड़ आपको मूंगे के समान फल प्रदान करेगी।

– बुध ग्रह की कृपा पाने के लिए बुधवार के दिन विधारा की जड़ को हरे कपड़े में धारण करें। विधारा की जड़ पन्ना रत्न के समान फल प्रदान करेगी।

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– देवगुरु बृहस्पति की कृपा पाने के लिए पीले कपड़े में केले की जड़ को गुरुवार के दिन धारण करें। केले की जड़ पुखराज के समान फल प्रदान करेगी।

– शुक्र ग्रह की शुभता पाने के लिए सफेद कपड़े में गूलर की जड़ को शुक्रवार के दिन धारण करें। गूलर की जड़ शुक्र के रत्न हीरे के समान फल प्रदान करेगी।

– शनि देव की कृपा पाने के लिए शमी की जड़ को शनिवार के दिन नीले कपड़े में धारण करें। शमी की जड़ शनि के रत्न नीलम के समान फल प्रदान करेगी।

– राहु की कृपा पाने के लिए बुधवार के दिन नीले कपड़े में चंदन के सफेद टुकड़े को धारण करें।

– केतु की कृपा पाने के लिए गुरुवार के दिन नीले रंग के कपड़े में अश्वगंधा की जड़ धारण करें।

अवश्य ध्यान दें – ग्रह विशेष की शुभता पाने के लिए रत्नों के समान इन पेड़-पौधों की जड़ों को विधि-विधान से पूजा और मंत्र जप करने के बाद ही शुभ दिन एवं शुभ समय पर धारण करें।

(यहां उपलब्ध जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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