शौर्य का इतिहास रचने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी की जयंती आज भगवान बिरसा मुंडा :
साहस और पराक्रम की स्याही से पुरुषार्थ के पृष्ठों पर शौर्य का इतिहास रचनेवाला एक महान स्वतंत्रता सेनानी. किसानों का शोषण करनेवाले जमींदारों के खिलाफ उन्होंने लड़ाइयां लड़ी. साथ ही अंग्रेजों, राजस्व-व्यवस्था और जल, जंगल और जमीन के लिए आवाज बुलंद की. बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को उलिहातू (खूंटी जिला) में हुआ. अंतिम सांस 09 जून 1900 को ली.छोटी उम्र में वह स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ सामाजिक नेतृत्वकर्ता बनकर उभरे. उनके संघर्ष और आंदोलन ने उन्हें भगवान का दर्जा दिला दिया़ अंग्रेजों के साथ लड़ाई करने के साथ-साथ सामाजिक चेतनाएं भी जागृत की़ माना जाता था कि उनके अंदर कुछ अलौकिक शक्तियां भी थीं. लोगों का विश्वास था कि उनके स्पर्श मात्र से कई कष्ट दूर हो जाते थे़ उनका संदेश प्राप्त कर कई लोग उन्हें भगवान मानने लगे और एक अलग धर्म की स्थापना की गयी, जिसे बिरसाइत धर्म कहा जाता है़ इस धर्म के अनुयायी आज भी सादगीपूर्ण जीवन-यापन करते हैं.
लेजर शो में दिखेगी बिरसा मुंडा के संघर्ष की कहानी रांची :
बिरसा मुंडा स्मृति पार्क रांची का सौंदर्यीकरण कार्य अंतिम चरण में है. 145 करोड़ रुपये की लागत से पार्क का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है.दो चरणों में होनेवाले इस कार्य के पहले फेज में बिरसा मुंडा जेल व बिरसा मुंडा संग्रहालय का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है. दूसरे फेज में 19 एकड़ में फैले बिरसा मुंडा स्मृति पार्क का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है. बिरसा मुंडा ने जेल की जिस कोठरी में अंतिम सांस ली थी, उस जेल परिसर के सौंदर्यीकरण का काम अंतिम चरण में है.संभवत 15 नवंबर से इसे आम लोगों के लिए खोल दिया जायेगा. यहां भगवान बिरसा की जीवनी लेजर शो के माध्यम से दिखायी जायेगी. जेल परिसर में ही भगवान बिरसा की 35 फीट ऊंची आदमकद प्रतिमा लगायी जायेगी. इसके अलावा स्वतंत्रता आंदोलन व झारखंड आंदोलन में भाग लेने वाले शहीदों की प्रतिमा भी यहां लगायी जायेगी. इस जेल परिसर के सौंदर्यीकरण के दौरान इसकी मूल संरचना में किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की गयी है.
सादगीपूर्ण जीवन में विश्वास करते हैं बिरसा के अनुयायी खूंटी :
भगवान बिरसा मुंडा के संदेशों से प्रभावित होकर उनके कई अनुयायियों ने एक अलग धर्म अपना लिया, जिसे बिरसाइत धर्म का नाम दिया गया़ बिरसाइत धर्म को मानने वाले भगवान बिरसा मुंडा के विचारों और आदर्शों का अनुपालन करते हैं. अपना जीवन सादगीपूर्ण तरीके से बिताते हैं. ज्यादातर समय सफेद कपड़े ही पहनते हैं. पुरुष जनेऊ भी धारण करते हैं. बिरसाइत धर्म के अनुयायी नशापान और मांस-मछली से दूर रहते हैं. उनका विश्वास संयुक्त परिवार में रहता है.कई जगहों पर परिवार के दर्जनों सदस्यों का खाना एक ही चूल्हा में पकाया जाता है़ तोरपा प्रखंड के रोन्हे गांव में बिरसाइतों ने प्रार्थना सभा केंद्र बनाया है़ प्रत्येक गुरुवार को प्रार्थना होती है. इस धर्म के अनुयायी मुख्यत: खूंटी के अनिगड़ा, मुरहू के कुंदी-बरटोली, तोरपा के रोन्हे, बंदगांव के लुबई के साथ-साथ पश्चिमी सिंहभूम के रोंगो, शंकरा आदि गांवों में हैं. बिरसा मुंडा जयंती पर अनुयायी खूंटी बिरसा पार्क में एकत्र होते हैं. पूजा-अर्चना करते हैं.
झारखंड के चारों धाम का दर्शन कर सकेंगे लोग :
बिरसा मुंडा स्मृति पार्क में आनेवाले लोगों को झारखंड के चारों धाम का दर्शन होगा. इसके लिए यहां वाटर पार्क व म्यूजिकल फाउंटेन लगाये जा रहे हैं. यहां लोगों को बैद्यनाथ धाम देवघर, इटखोरी मंदिर चतरा, पारसनाथ मंदिर गिरिडीह व रजरप्पा मंदिर रामगढ़ को दिखाया जायेगा. आम लोगों को यहां वाहन खड़ा करने में किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए यहां अंडरग्राउंड पार्किंग का निर्माण किया गया है. इसमें 175 कार व 300 से अधिक दो पहिया वाहन को पार्क करने की क्षमता है.