लखनऊ: दीपावली के पांच दिवसीय महापर्व का प्रांरभ 13 नवम्बर से धनतेरस के दिन से हो रहा है। इस बार 40 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब दीपावली के एक दिन पहले धनतेरस पड़ेगी। पहले धनतेरस का पर्व दीपावली से 2 दिन पूर्व अर्थात त्रयोदशी के दिन मनाया जाता था। लेकिन इस वर्ष त्रयोदशी तिथि का संयोग दीपावली से 1 दिन पूर्व अर्थात 13 नवंबर को बन रहा है। बताया जा रहा है कि तिथियों की गणना के हिसाब से त्रयोदशी तिथि 12 नवंबर को रात्रि 9.30 बजे प्रारंभ हो जाएगी। लेकिन प्रदोष काल में त्रयोदशी व्याप्त होने के कारण इसका मुहूर्त 13 नवंबर को प्राप्त होगा। 13 नवंबर को सायंकाल 6.00 बजे तक त्रयोदशी तिथि व्याप्त होने के कारण धनतेरस की पूजा एवं खरीदारी का मुहूर्त इसी दिन प्राप्त होगा। इस तरह 40 वर्षों के बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब धनतेरस का पर्व दीपावली से 1 दिन पूर्व मनाया जाएगा। इस दिन कुबेर के साथ लक्ष्मी का पूजन किया जाना उत्तम होगा।
धनत्रयोदशी: आज धनतेरस का पर्व है. धनतेरस का पर्व कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भगवान धनवंतरी, कुबेर की पूजा की जाती है. इसी दिन रात में यम दीप भी जलाया जाता है. मान्यता है कि धनतेरस पर कुछ चीजों को खरीदने पर अक्षय फल मिलता है. इस बार धनतेरस 13 नवंबर को मनाई जाएगी. धनतेरस के दिन व्यापारी लोग भी अपनी दुकान और व्यापार की जगह में पूजा कर मां लक्ष्मी की अराधना करते हैं. इस दिन कुछ खास चीजों को घर में खरीदकर लाना बहुत ही शुभ होता है. खासतौर पर इस दिन पीतल या चांदी के बर्तन खरीदना बहुत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन खरीदी जाने वाली चीजें धन समृद्धि को बढ़ाती हैं. आइए जानते है धनतेरस की तारीख, शुभ मुहूर्त और इस दिन खरीदारी करने का सही समय…
धनतेरस के दिन सोना,चांदी, बर्तन आदि खरीदने का शुभ मुहूर्त होता है. इस साल आप धनतेरस के दिन सुबह 06:42 बजे से शाम के 05:59 बजे तक सोना,चांदी, बर्तन आदि खरीद सकते है. इस बार खरीदारी के लिए कुल 11 घंटे 16 मिनट का समय है. शुक्रवार 13 नवंबर को शाम 05 बजकर 28 मिनट से शाम 05 बजकर 59 मिनट तक धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त है. इस 30 मिनट की अवधि में आपको धनतेरस की पूजा कर लेनी चाहिए.
13 नवंबर दिन शुक्रवार की सुबह 5 बजकर 59 मिनट से 10 बजकर 06 मिनट तक
13 नवंबर दिन शुक्रवार की सुबह 11 बजकर 08 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक
13 नवंबर दिन शुक्रवार की दोपहर 3 बजकर 38 मिनट से शाम 05 बजे तक
नरक चतुर्दशी:सामान्य तौर पर दीपावली के एक दिन पूर्व नरक चतुर्दशी का पर्व पड़ता है, जिसे नरक चौदस, काली चौदस, रूप चतुर्दशी, अथवा छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन इस वर्ष तिथियों के संयोग के कारण चौदस का पर्व दीपावली के दिन ही मनाया जाएगा। दीपावली के पूर्व पडऩे वाली काली चौदस तंत्र साधना के लिए प्रशस्त मानी गई है। चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है।
दीपावली पर्व : इस वर्ष शनिवार 14 नवम्बर को दीपावली पर्व मनाया जाएगा। प्रदोष कालीन अमावस्या तिथि 14 नवंबर को दोपहर 2.17 से प्रारंभ हो जाएगी और 15 नवंबर को प्रात: काल 10.36 तक व्याप्त रहेगी। 14 नवंबर को प्रदोष काल के साथ अमावस्या की गोधूलि बेला, सर्वार्थ सिद्धि योग, स्थिर लग्न वृषभ तथा शुभ चौघडिय़ा के संयोग में लक्ष्मी पूजन का विशिष्ट मुहूर्त है।
गोवर्धन पूजा : दीपावली महापर्व के चौथे दिन को गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जायेगा। 15 नवंबर को प्रतिपदा तिथि प्रात: काल 10.36 बजे से प्रारंभ होगी जो कि 16 नवंबर को प्रात: काल 7.00 बजे तक संचरण करेगी। इसलिए गोवर्धन पूजा 15 नवंबर को संपन्न होगा।
भाईदूज : दीपावली महापर्व का समापन भाई दूज के साथ होता है। इस वर्ष 16 नवंबर को कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि सुबह 7. 00 बजे से प्रारंभ हो जाएगी।