जमानत ले कर हाई कोर्ट में ट्रायल देखरहे ‘108 करोड़ घोटाले’ के आरोपी को जज ने तत्काल कराया गिरफ्तार, ये था मामला

बेदखली की कार्यवाही शुरू करने से पहले किराएदार से परिसर खाली करने के लिए कहना 'आपराधिक धमकी' का मामला नहीं बनता : कलकत्ता हाईकोर्ट

न्यायमूर्ति तीर्थांकर घोष ने ED एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट की याचिका पर सुनवाई के दौरान दोनों आरोपियों शैलेश कुमारक पांडेय और प्रसेनजीत दास को कोर्ट रूम में बैठे देखा तो उनका पारा चढ़ गया। न्यायमूर्ति तीर्थांकर घोष ने ED एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट को आदेश दिया कि वो दोनों को तत्काल कोर्ट रूम से ही गिरफ्तार करे और दोपहर तीन बजे से पहले स्पेशल कोर्ट के सामने पेश करे।

अपनी तरह के एक अनोखे फैसले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने दो आरोपियों को उस दौरान जेल में भेजने का आदेश दिया जब वो कोर्ट रूम में बैठकर ट्रायल देख रहे थे। हालांकि दोनों को विशेष अदालत से जमानत मिली थी। लेकिन हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति तीर्थांकर घोष ने दोनों को देखा तो कोर्ट रूम से ही गिरफ़्तार करा दिया। हाईकोर्ट का ED एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट से कहना था कि दोनों को दोपहर तक विशेष अदालत के सामने पेश कर रिमांड पर लिया जाए।

शैलेश कुमारक पांडेय और प्रसेनजीत दास 108 करोड़ के घोटाले में आरोपी हैं। दोनों को ED ने गिरफ़्तार किया था। लेकिन विशेष अदालत ने उनको जमानत पर रिहा कर दिया था। विशेष अदालत ने 21 जनवरी को आदेश पारित किया था, जिसके तहत दोनों आरोपियों के Production Warrant Cancel करके उनको रिहा कर दिया गया था। ED ने आदेश के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में रिट दायर की थी। खास बात है कि हाईकोर्ट जब ED एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट की रिट पर सुनवाई कर रहा था तभी जज की नजर दोनों आरोपियों पर पड़ी। दोनों कोर्ट रूम में बैठकर ट्रायल देख रहे थे।

जस्टिस तीर्थांकर घोष ने ED की याचिका पर सुनवाई के दौरान दोनों आरोपियों शैलेश कुमारक पांडेय और प्रसेनजीत दास को कोर्ट रूम में बैठे देखा तो उनका पारा चढ़ गया। जस्टिस तीर्थांकर ने ED को आदेश दिया कि वो दोनों को तत्काल कोर्ट रूम से ही गिरफ़्तार करे और दोपहर तीन बजे से पहले विशेष अदालत के सामने पेश करे। हाईकोर्ट के इस आदेश से कोर्ट रूम में सनसनी फैल गई। इस तरह से किसी की आरोपी का उदाहरण विरले ही देखने को मिलता है।

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ED Enforcement Directorate की तरफ से पेश वकील फिरोज ने हाईकोर्ट से कहा कि विशेष अदालत का आदेश गलत था। एजेंसी अभी तक क्राइम के पीछे के तारों को जोड़ने में जुटी है। ऐसे में आरोपियों को बेल पर रिहा किए जाने से मामले की विवेचना पर असर पड़ेगा। उनका कहना था कि ED अभी तक ये देख रही है कि 108 करोड़ के घोटाले में किन किन लोगों को फायदा मिला था। आरोपियों की भूमिका को लेकर भी जांच अहम पड़ाव पर है।

ED एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट के वकील का कहना था कि विशेष अदालत ने आरोपियों के Production Warrant खारिज करके उन दोनों को बेल पर रिहा कर दिया। उनका कहना था कि हमने विशेष अदालत से आरोपियों की 15 दिनों की रिमांड पर भेजने को कहा था।

आरोपियों का कहना था कि दोनों को रिहा करने का आदेश बिलकुल ठीक था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले विजय मंडल चौधरी बनाम भारत सरकार का हवाला भी दिया।

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