मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि एक महिला द्वारा अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना “मानसिक क्रूरता” है और यह उसके लिए (पति) हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत तलाक लेने का वैध आधार है।
न्यायमूर्ति शील नागू और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट के 2014 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसने सुदीप्तो को तलाक देने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, “शादी पूरी ना होना और शारीरिक अंतरंगता से इनकार करना मानसिक क्रूरता के बराबर है।”
2006 में हुई थी शादी-
सुदीप्तो द्वारा दायर याचिका के अनुसार, उन्होंने मौमिता से तलाक की मांग की थी। मौमिता ने 12 जुलाई 2006 को शादी के दिन से लेकर 28 जुलाई 2006 को पति के भारत से बाहर चले जाने तक लगातार संबंध बनाने से इनकार कर शादी को संपन्न नहीं होने दिया था। सुदीप्तो के मुताबिक, मौमिता ने उससे कहा कि उसके माता-पिता ने उसे शादी करने के लिए मजबूर किया था और उसने सुदीप्तो के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया क्योंकि उसका पहले से ही एक प्रेमी था।
याचिका के अनुसार, पश्चिम बंगाल में अपनी शादी के बाद, उसने सुदीप्तो से कहा था कि वह उसे उसके प्रेमी को सौंप दे। भोपाल में अपने घर पहुंचने के बाद भी उसने उनकी शादी से इनकार कर दिया। सुदीप्तो ने बताया कि मौमिता ने सितंबर 2006 में भोपाल में अपना वैवाहिक घर छोड़ दिया और फिर कभी वापस नहीं लौटीं।
पत्नी ने ‘झूठी शिकायत’ दर्ज करा ऐंठे रु 10 लाख-
अपीलकर्ता के अनुसार, प्रतिवादी ने उसे ई-मेल के माध्यम से धमकी दी कि वह आत्महत्या कर लेगी और अपीलकर्ता और उसके माता-पिता के खिलाफ आईपीसी की धारा 498-ए/406 के तहत झूठा मामला भी दर्ज कराया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पूर्व पत्नी ने 2013 में उनके और उनके माता-पिता के खिलाफ “झूठी शिकायत” भी दर्ज कराई थी और कहा था कि दहेज के मामलों को लेकर उन्होंने उसे परेशान किया और प्रताड़ित किया। इसके अलावा, मौमिता ने आरोप लगाया कि सुदीप्तो और उसके परिवार ने साड़ी से उसका गला घोंटने की कोशिश की और उसे आग लगाने की कोशिश की। इसकी वजह से सुदीप्तो के माता-पिता ने लगभग 23 दिन हिरासत में बिताए।
सुदीप्तो ने बताया कि उमौमिता ने समझौते के तौर पर उसके पिता (सुदीप्तो के) से 10,00,000 रुपये प्राप्त किए और भोपाल के एक पुलिस स्टेशन में एक और रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद तलाक की याचिका पर हस्ताक्षर किए।
पैसे लेने के बाद भी तलाक देने से किया था इनकार-
ज्ञात हो की बाद में पत्नी ने सक्षम अदालत के समक्ष हस्ताक्षरित याचिका प्रस्तुत करने से इनकार कर दिया। इसके बाद सुदीप्तो ने तलाक के लिए भोपाल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए उनके अनुरोध को खारिज कर दिया कि तलाक के लिए कोई आधार नहीं है। सुदीप्तो साहा और मौमिता साहा से जुड़े एक मामले में कोर्ट ने यह आदेश 3 जनवरी को पारित किया।
अस्तु मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय अंततः उनके तलाक को मंजूरी दे दी।
केस शीर्षक – सुदीप्तो साहा बनाम मौमिता साहा