सरकार का पक्ष: भ्रष्टाचार पर लगेगी लगाम?
उत्तराखंड सरकार की पेपरलेस रजिस्ट्री प्रणाली को लेकर जहां प्रशासन इसे भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी व्यवस्था का कदम बता रहा है, वहीं वकीलों का विरोध भी उतनी ही तेजी से बढ़ता जा रहा है। अधिवक्ताओं का मानना है कि इस नई प्रणाली से हजारों वकीलों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है और इससे जुड़े अन्य कर्मचारी भी बेरोजगारी की चपेट में आ सकते हैं।
वकीलों की आपत्तियां
वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल कांडपाल का कहना है कि ऑनलाइन रजिस्ट्री लागू होने से वकीलों, टाइपिस्टों, मुंशियों और ऑफिस स्टाफ की रोजी-रोटी पर गहरा असर पड़ेगा। सरकार को चाहिए कि अधिवक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए उचित कदम उठाए जाएं।
अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने भी इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि जन सेवा केंद्र (CSC) में काम करने वाले लोग रजिस्ट्री की जटिल कानूनी प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से कैसे संभालेंगे? इससे तकनीकी खामियां, गलतियां और फर्जीवाड़े के मामले बढ़ सकते हैं।
कानूनी पेचीदगियों की अनदेखी पर ऐतराज
अधिवक्ता नितिन वर्मा ने सरकार की इस नीति को लेकर कहा कि रजिस्ट्री की प्रक्रिया केवल ऑनलाइन नहीं हो सकती, क्योंकि इसमें कई कानूनी दांव-पेंच शामिल होते हैं। CSC संचालकों के पास न तो पर्याप्त कानूनी ज्ञान होगा और न ही आवश्यक अनुभव। इससे भविष्य में कई कानूनी विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
डिजिटलीकरण के दुष्प्रभावों पर चेतावनी
अधिवक्ता अंकित चौरसिया ने कहा कि डिजिटलीकरण से पारदर्शिता तो बढ़ेगी, लेकिन सरकार को उन हजारों लोगों की चिंता भी करनी चाहिए, जो इस प्रक्रिया से बेरोजगार हो सकते हैं। साथ ही, ऑनलाइन सिस्टम में फर्जीवाड़े और डेटा सुरक्षा की चुनौतियां भी बनी रहेंगी।
सरकार का पक्ष: भ्रष्टाचार पर लगेगी लगाम?
वकीलों की चिंताओं को खारिज करते हुए सरकार ने इसे ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का हिस्सा बताया। सरकार का दावा है कि ऑनलाइन रजिस्ट्री से भ्रष्टाचार खत्म होगा और प्रक्रियाओं में अधिक पारदर्शिता आएगी। हालांकि, वकीलों के बढ़ते विरोध से यह मुद्दा और गरमाने के संकेत मिल रहे हैं।
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