प्रदेश की सभी अदालतों में 5 और 6 मार्च को वकीलों का विरोध प्रदर्शन, अदालतों का कार्य ठप रहेगा

हिमाचल प्रदेश की सभी अदालतों में 5 और 6 मार्च को वकीलों का विरोध प्रदर्शन, अदालतों का कार्य ठप रहेगा

हिमाचल प्रदेश राज्य समन्वय समिति ने 5 और 6 मार्च को राज्य की सभी अदालतों में काम न करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया है, और समिति के अध्यक्ष एल. आर. नड्डा ने इस कदम की पुष्टि करते हुए बताया कि पूरे राज्य से वकीलों के सुझाव प्राप्त हुए थे, जिसके आधार पर यह निर्णय लिया गया है। उनका कहना है कि अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में किए जा रहे संशोधन वकीलों के खिलाफ हैं और इससे उनकी पेशेवर स्वतंत्रता प्रभावित होगी।

नड्डा ने कहा कि समिति 6 मार्च को शाम को होने वाली बैठक में आगामी रणनीति पर चर्चा करेगी। इस दौरान प्रदेश के सभी प्रमुख न्यायालयों जैसे हाईकोर्ट, शिमला जिला अदालत, ठियोग, मंडी, कांगड़ा, नूरपूर, सोलन, बिलासपुर, और हमीरपुर की अदालतों में कार्य ठप रहेगा। शिमला जिला अदालत में वकील अगले दिन भी न्यायिक कार्य को रोकने की स्थिति में थे।

वकील समुदाय का कहना है कि इन प्रस्तावित संशोधनों से वकीलों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और सरकारों की तरफ से वकीलों को कोई भी सहायता नहीं मिलती। उनका तर्क है कि अधिवक्ता अधिनियम में किए गए ये संशोधन किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं हैं, क्योंकि वकील ही नागरिकों को न्याय दिलाने का काम करते हैं।

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव देवेंद्र ठाकुर ने बताया कि जनरल हाउस की बैठक में सर्वसम्मति से अदालतों में कार्य ठप रखने का निर्णय लिया गया। वकीलों का मानना है कि केंद्र सरकार द्वारा अधिवक्ता अधिनियम में किए जा रहे संशोधन पूरी तरह गलत हैं और इससे वकीलों की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, विदेश में काम करने वाले वकील भी भारत की अदालतों में पेशी कर सकेंगे, जो कि भारतीय न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास को कमजोर करने वाला कदम है।

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इसके अतिरिक्त, बार काउंसिल ऑफ इंडिया में केंद्र सरकार द्वारा तीन प्रतिनिधि भेजने के प्रस्ताव पर भी वकील समुदाय ने विरोध जताया है। उनका कहना है कि इस कदम से बार काउंसिल की स्वायत्तता पर खतरा पैदा हो जाएगा, और केंद्र और राज्य सरकारों की दखलअंदाजी बढ़ेगी।

हिमाचल प्रदेश बार एसोसिएशन के प्रधान निरंजन वर्मा ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश बार काउंसिल का पिछले आठ साल से चुनाव नहीं हुआ है, जबकि इस काउंसिल के चुनाव हर पांच साल में होते हैं। विशेष परिस्थितियों में इसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन बिना चुनाव के कुछ लोग काउंसिल में बैठे हुए हैं, जो नियमों का उल्लंघन है। वर्मा ने इसे कानूनी निकाय के नियमों का उल्लंघन बताते हुए इसे बड़े दुर्भाग्य की बात करार दिया। इस विषय पर भी हिमाचल बार एसोसिएशन के जनरल हाउस में वकीलों द्वारा सवाल उठाए गए थे।

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