मध्य प्रदेश हाईकोर्ट: वकील ने दिल्ली की घटनाओं का हवाला देते हुए अदालत पर कसा तंज, न्यायिक नियुक्तियों की आलोचना, कोर्ट ने दिखाया कड़ा रुख
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की एकल पीठ, न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला, ने एक मामले की सुनवाई के दौरान अपीलकर्ताओं के वकील पी.सी. पालीवाल द्वारा अदालत के प्रति की गई अवमाननापूर्ण और अपमानजनक टिप्पणियों को गंभीरता से लिया और कार्यवाही स्थगित कर दी।
मामले की पृष्ठभूमि
- सुनवाई के दौरान वकील पी.सी. पालीवाल ने अदालत की देरी पर नाराजगी जताते हुए “तमाशा” शब्द का इस्तेमाल किया और न्यायिक नियुक्तियों की आलोचना की।
- उन्होंने दिल्ली की घटनाओं का हवाला देते हुए अदालत पर तंज कसा।
- वकील ने आरोप लगाया कि उनका 20 बार मामला सूचीबद्ध हुआ, लेकिन अब जाकर सुनवाई हो रही है।
- उन्होंने यह भी कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से इस मामले को राजनीतिक नेता मोहन यादव के समक्ष उठाएंगे।
- इसके अलावा, उन्होंने स्पष्ट रूप से मौजूदा पीठ के समक्ष बहस करने से इनकार किया और केस ट्रांसफर की मांग की।
हाईकोर्ट की प्रतिक्रिया
न्यायालय ने वकील की इन टिप्पणियों को गंभीर, अपमानजनक और अदालत की अवमानना के समान माना।
अदालत ने निर्देश दिया कि इस आदेश की प्रमाणित प्रति मुख्य न्यायाधीश के समक्ष आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रस्तुत की जाए।
प्रभाव और निष्कर्ष
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि न्यायालय की गरिमा बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है और अदालत के प्रति अनादर की भाषा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हाईकोर्ट के इस रुख से यह संकेत मिलता है कि न्यायिक प्रक्रिया में अनुशासन और मर्यादा का पालन करना अनिवार्य है।
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