मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण का मार्ग प्रशस्त, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने आपात याचिका खारिज की

मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण का मार्ग प्रशस्त, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने आपात याचिका खारिज की

मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण का मार्ग प्रशस्त, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने आपात याचिका खारिज की

मुंबई में वर्ष 2008 में हुए भीषण आतंकवादी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता अब औपचारिक रूप से साफ हो गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की उसकी आपातकालीन याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायालय के इस निर्णय के पश्चात भारतीय एजेंसियों द्वारा राणा को भारत लाए जाने की प्रक्रिया में अब कोई वैधानिक अड़चन शेष नहीं रह गई है।

राणा, जो पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है और वर्तमान में लॉस एंजेलिस स्थित मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में निरुद्ध है, भारत प्रत्यर्पण को निरस्त करने के लिए अमेरिका की न्याय प्रणाली में निरंतर प्रयासरत रहा है।

राणा ने 27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की एसोसिएट जस्टिस और नौवें सर्किट की सर्किट जस्टिस एलेना कागन के समक्ष एक आपातकालीन आवेदन दायर कर भारत प्रत्यर्पण को स्थगित करने का अनुरोध किया था। हालांकि, न्यायमूर्ति कागन ने इस याचिका को प्रारंभिक स्तर पर ही अस्वीकृत कर दिया था।

याचिका खारिज होने के बाद राणा ने मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स को संबोधित करते हुए एक नई आपात याचिका दायर की, जिसमें पूर्व में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित रहने तक प्रत्यर्पण पर रोक की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, यह नया आवेदन 4 अप्रैल को अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। अंततः, सोमवार को न्यायालय ने एक संक्षिप्त नोटिस जारी करते हुए इस आवेदन को भी खारिज कर दिया।

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प्रत्यर्पण रोकने का प्रयास और तर्क

राणा ने अपनी आपात याचिका में यह तर्क दिया कि चूंकि वह पाकिस्तानी मूल का मुस्लिम है, अतः भारत प्रत्यर्पित किए जाने पर उसके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार और उत्पीड़न की आशंका है। इसके अतिरिक्त, उसने अपने स्वास्थ्य की खराब स्थिति का भी हवाला देकर मानवीय आधार पर प्रत्यर्पण को रोके जाने की मांग की थी।

भारत की प्रतिक्रिया और प्रत्यर्पण की पृष्ठभूमि

राणा, वर्ष 2008 में मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले के पीछे मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक डेविड कोलमैन हेडली का घनिष्ठ सहयोगी रहा है। अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा उसकी भूमिका की पुष्टि किए जाने के बाद, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने उसके प्रत्यर्पण को औपचारिक रूप से स्वीकृति प्रदान की थी।

भारत सरकार ने भी अमेरिका के साथ लगातार संपर्क बनाए रखा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने जनवरी में स्पष्ट किया था कि अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट द्वारा राणा की पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने के पश्चात, भारत अब अमेरिकी अधिकारियों के साथ मिलकर उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में लगा हुआ है।

26/11 हमला – एक राष्ट्रीय त्रासदी

ज्ञात हो कि 26 नवंबर 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकियों के एक दल ने समुद्री मार्ग से मुंबई में प्रवेश कर, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन, ताज होटल, ओबेरॉय होटल तथा नरीमन हाउस (यहूदी केंद्र) को निशाना बनाया था। लगभग 60 घंटे तक चले इस आतंकवादी हमले में 166 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिनमें कई विदेशी नागरिक भी शामिल थे।

हमले के दौरान एकमात्र जीवित पकड़ा गया आतंकी अजमल आमिर कसाब था, जिसे 2012 में पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई थी।

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निष्कर्ष

अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय के ताज़ा निर्णय से स्पष्ट हो गया है कि तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण में अब कोई वैधानिक अवरोध शेष नहीं है। भारत सरकार इस निर्णय के आलोक में शीघ्र ही प्रत्यर्पण की शेष प्रक्रियाओं को पूर्ण कर, उसे न्याय के कटघरे में लाने की दिशा में अग्रसर होगी।

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