UIDAI ने गैर-निजी आधार डेटा सार्वजनिक किया, डिजिटल पारदर्शिता को बढ़ावा
नई दिल्ली: भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आधार डैशबोर्ड से गैर-निजी और अज्ञातकृत (anonymized) डेटा को ओपन गवर्नमेंट डेटा प्लेटफॉर्म (data.gov.in) पर साझा करना शुरू कर दिया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के अनुसार, यह कदम पारदर्शिता, शोध और डेटा-आधारित नीति निर्माण को बढ़ावा देगा।
मुख्य बिंदु:
किस तरह का डेटा साझा किया जा रहा है?
आधार पंजीकरण, अपडेट और प्रमाणीकरण से जुड़े समग्र आंकड़े।
भौगोलिक क्षेत्र, आयु वर्ग और अन्य मानकों के आधार पर वर्गीकृत डेटा।
कोई व्यक्तिगत जानकारी नहीं, सिर्फ सांख्यिकीय विश्लेषण के लिए उपयोगी डेटा।
इसका क्या उद्देश्य है?
शैक्षणिक शोध, डिजिटल सेवाओं में नवाचार और सरकारी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन।
“डेटा-संचालित नीति निर्माण” को प्रोत्साहित करना।
आधार की पारदर्शिता और सुरक्षा के प्रति UIDAI की प्रतिबद्धता को दर्शाना।
सरकार क्या कहती है?
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “यह पहल डिजिटल समावेशन और शासन दक्षता को बढ़ाएगी।”
यह ओपन डेटा के माध्यम से जनहित को बढ़ावा देने की सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।
आधार: भारत की डिजिटल पहचान क्रांति
2009 में शुरू हुए 12-अंकीय आधार ने भारत में पहचान प्रमाणीकरण और सरकारी योजनाओं के लक्षित वितरण को बदल दिया।
UIDAI (2009 में स्थापित) को 2016 के आधार अधिनियम के तहत वैधानिक दर्जा मिला।
प्रमुख उपलब्धियां:
धोखाधड़ी और नकली पहचान पर अंकुश।
दुनिया का सबसे बड़ा बायोमेट्रिक आईडी सिस्टम (1.3 बिलियन+ उपयोगकर्ता)।
सरकारी सब्सिडी का सीधा लाभार्थियों तक पहुंचना (DBT)।
भविष्य की दिशा
यह डेटा स्टार्टअप्स, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं को भारत की डिजिटल पहचान प्रणाली को समझने में मदद करेगा।
AI और बिग डेटा एनालिटिक्स के जरिए बेहतर सेवाओं का विकास संभव होगा।
नोट: UIDAI ने जोर देकर कहा है कि किसी भी व्यक्तिगत डेटा को सार्वजनिक नहीं किया गया है और यह कदम पूरी तरह से डेटा गोपनीयता कानूनों के अनुरूप है।
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