‘Article 20(3) का उल्लंघन होगा’: पुणे की विशेष अदालत ने राहुल गांधी को वीर सावरकर पर कथित टिप्पणी से जुड़ी पुस्तक प्रस्तुत करने का आदेश देने से किया इनकार

राहुल गांधी

‘Article 20(3) का उल्लंघन होगा’: पुणे की विशेष अदालत ने राहुल गांधी को वीर सावरकर पर कथित टिप्पणी से जुड़ी पुस्तक प्रस्तुत करने का आदेश देने से किया इनकार

पुणे | विधि संवाददाता

पुणे की विशेष अदालत ने गुरुवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले में एक अहम आदेश पारित करते हुए सत्यकी सावरकर की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें गांधी को कथित रूप से वीर सावरकर पर की गई टिप्पणी से संबंधित कथित पुस्तक प्रस्तुत करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। सत्यकी, स्वतंत्रता सेनानी वीर विनायक दामोदर सावरकर के प्रपौत्र हैं।

विशेष न्यायाधीश अमोल शिंदे (MPs और MLAs से जुड़े मामलों के लिए नामित कोर्ट) ने स्पष्ट किया कि राहुल गांधी को वर्तमान चरण में ऐसी कोई सामग्री प्रस्तुत करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसा करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20(3) में प्रदत्त आत्म-अभिकथन से संरक्षण (right against self-incrimination) के अधिकार का उल्लंघन होगा।

कोर्ट ने क्या कहा?

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा:

“अभियुक्त को अपनी बचाव साक्ष्य की प्रस्तुति के दौरान कोई भी दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता है। यदि उसे पहले ही ऐसे साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए बाध्य किया जाता है, तो यह उसके अनुच्छेद 20(3) के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा।”

अनुच्छेद 20(3) यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी आरोपी को स्वयं के विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

मामला क्या है?

सत्यकी सावरकर ने मई 2024 में यह याचिका दायर कर राहुल गांधी से उस पुस्तक को पेश करने की मांग की थी, जिसका उन्होंने कथित रूप से 2023 में लंदन में एक भाषण के दौरान उल्लेख किया था। उस भाषण में गांधी ने कथित रूप से कहा था कि “वी.डी. सावरकर ने एक किताब में लिखा कि उन्होंने और उनके कुछ दोस्तों ने एक मुस्लिम व्यक्ति को पीटा और उन्हें इससे खुशी मिली।

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सत्यकी सावरकर का दावा है कि ऐसी कोई घटना सावरकर के जीवन में न हुई और न ही उन्होंने किसी पुस्तक में इसका उल्लेख किया। उनका कहना है कि राहुल गांधी द्वारा की गई टिप्पणी झूठी और मानहानिकारक है।

अदालत की टिप्पणी का महत्व

न्यायाधीश शिंदे ने यह भी स्पष्ट किया कि:

“अभियुक्त को ऐसी किसी सामग्री को सार्वजनिक करने या मुकदमे की शुरुआत से पहले प्रस्तुत करने का आदेश देना असंवैधानिक होगा। अभियुक्त को अपनी रक्षा की रणनीति चुनने और कब, क्या प्रस्तुत करना है, इसका निर्णय करने का अधिकार है।”

पृष्ठभूमि

सत्यकी सावरकर द्वारा राहुल गांधी के खिलाफ दायर मानहानि शिकायत अभी प्रारंभिक सुनवाई के चरण में है। याचिका में दावा किया गया है कि गांधी ने जानबूझकर सावरकर की छवि धूमिल करने के लिए यह टिप्पणी की थी। राहुल गांधी ने सार्वजनिक रूप से इस पर सफाई नहीं दी है।

निष्कर्ष

यह आदेश अभियुक्त के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा और अदालती प्रक्रिया की मर्यादा के लिहाज़ से एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मुकदमे से पहले बचाव पक्ष को अपनी रणनीति उजागर करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, और इस अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए।

मामले का शीर्षक: Satyaki Savarkar v. Rahul Gandhi (Special Court, Pune)
आदेश दिनांक: 4 जुलाई 2025

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