- भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने कलकत्ता हाईकोर्ट को बताया है कि आधार कार्ड दिए जाने का नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है।
- कोई शख्स बिना आधार के पैदा नहीं हो सकता- क्योंकि यह जन्म प्रमाण पत्र के लिए जरूरी है, और कोई शख्स बिना आधार के मर नहीं सकता।
- UIDAI ने यह तर्क दिया गया कि आधार कार्ड का नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है और उन्हें गैर-नागरिकों को एक निश्चित समय के लिए दिया जा सकता है ताकि वे सरकारी सब्सिडी का लाभ उठा सकें।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के तरफ से UIDAI का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ वकील ने हाईकोर्ट में यह दलील दी कि आधार कार्ड किसी की नागरिकता या उसके निवास का प्रमाण पत्र नहीं हो सकता है। UIDAI ने यहां तक कहा कि देश में वैध रूप से प्रवेश करने वाले गैर-निवासियों को भी आवेदन करने पर आधार कार्ड दिए जा सकते हैं।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील ने गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) में आधार (नामांकन और अद्यतन) अधिनियम के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि आधार संख्या होना नागरिकता या निवास का प्रमाण नहीं है।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने कलकत्ता हाईकोर्ट को बताया है कि आधार कार्ड दिए जाने का नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है।
वरिष्ठ वकील लक्ष्मी गुप्ता ने कहा कि देश में लक्षित सरकारी सब्सिडी के उद्देश्य से 182 दिनों तक रहने वाले निवासियों को आधार कार्ड जारी किया जाता है।
मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ के सामने ये दलीलें दी गईं। जो पश्चिम बंगाल में कई आधार कार्डों को अचानक निष्क्रिय और पुनः सक्रिय करने को चुनौती देने वाली ‘एनआरसी के खिलाफ संयुक्त मंच’ की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।
मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक याचिकाकर्ताओं ने आधार नियमों के विनियम 28ए और 29 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। जो अधिनियम के तहत प्राधिकरण को यह तय करने की निरंकुश शक्ति देता है कि कौन विदेशी है और उसका आधार कार्ड निष्क्रिय कर सकता है। याचिकाकर्ता की वकील झूमा सेन ने तर्क दिया कि ‘आधार एक बड़ी चीज है। कोई शख्स बिना आधार के पैदा नहीं हो सकता- क्योंकि यह जन्म प्रमाण पत्र के लिए जरूरी है, और कोई शख्स बिना आधार के मर नहीं सकता। हमारे जीवन आधार के मैट्रिक्स के भीतर जुड़े हुए हैं।’
आधार कार्ड का नहीं है नागरिकता से कोई संबंध-
वहीं UIDAI के वरिष्ठ वकील लक्ष्मी गुप्ता ने याचिकाकर्ताओं के अधिकार को चुनौती देते हुए अपनी दलीलें शुरू कीं। उन्हें ‘अपंजीकृत संगठन’ कहा और कहा कि उनके कहने पर ऐसी दलील कबूल नहीं होगी। आगे यह तर्क दिया गया कि आधार कार्ड का नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है और उन्हें गैर-नागरिकों को एक निश्चित समय के लिए दिया जा सकता है ताकि वे सरकारी सब्सिडी का लाभ उठा सकें। यह भी तर्क दिया गया कि यह दलील इसलिए भी कबूल नहीं होगी क्योंकि यह गैर-नागरिकों और बहुत हद तक बांग्लादेशी नागरिकों के पक्ष में थी।
‘वीजा खत्म होने के बाद निष्क्रिय हो आधार कार्ड’-
UIDAI के वरिष्ठ वकील लक्ष्मी गुप्ता ने एनआरसी के खिलाफ संयुक्त मंच द्वारा आधार अधिनियम, 2023 के विनियमन 28 ए को रद्द करने की प्रार्थना का विरोध करने के क्रम में पेश कर रहे थे। कोलकाता हाईकोर्ट में यह मामला विशेष रूप से विदेशी नागरिकों से संबंधित चल रहा है। गुप्ता ने कहा कि यूआईडीएआई देश में लंबे समय तक रहने वाले किसी विदेशी नागरिक के आधार कार्ड को उसके वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद निष्क्रिय कर सकता है।
आधार कार्ड को लेकर भ्रम और विरोधाभास कायम-
एनआरसी के खिलाफ संयुक्त मंच ने मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें बंगाल में आधार कार्ड को निष्क्रिय करने पर भ्रम की ओर इशारा किया गया था। फोरम की वकील झूमा सेन ने कहा था, “केंद्रीय मंत्रियों के बयानों में भ्रम और विरोधाभास है। इस मुद्दे पर सीएमओ से एक पत्र पीएमओ को भेजा गया है और बंगाल से राज्यसभा के एक सदस्य ने भी केंद्र सरकार के सामने मामला उठाया है। यूआईडीएआई ने शुरू में कहा था कि एक तकनीकी त्रुटि।”
मामले की सुनवाई की तारीख आगे बढ़ी-
जबकि केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक कुमार चक्रवर्ती ने कहा कि याचिका करने वालों की यह दलील कबूल नहीं होगी, क्योंकि इसमें आधार अधिनियम की धारा 54 को चुनौती नहीं दी गई है। जिससे यह कानून निकलता है और याचिकाकर्ता देश की संप्रभुता को चुनौती नहीं दे सकते। इसके बाद हाईकोर्ट ने मामले की आंशिक सुनवाई की और इसे बाद की तारीख में आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
विदेशी नागरिक ने बंगाल में 11 प्रॉपटी हासिल की: सीजे
सीजे ने एक हालिया मामले का हवाला दिया जहां बालीगंज में रहने वाले और आधार कार्ड और आईटी रिटर्न दाखिल करने वाले एक विदेशी नागरिक ने बंगाल में 11 संपत्तियां हासिल कीं। खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को तय की है।
वाद शीर्षक – फोरम अगेंस्ट एनआरसी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया