दोनों पैरों से दिव्यांग महिला ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश में दिए शिकायती पत्र में आरोप लगाया कि समीर खान उनके प्लाट को गुंडागर्दी व राजनैतिक पहुंच के बल पर हड़पना चाहते थे। बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश की अनुशासन समिति ने 20 वर्ष तक भारत के किसी भी न्यायालय में विधि व्यवसाय करने से रोक लगा दी।
बार एसोसिएशन के सदस्य के रूप में वकालत करने वाले अधिवक्ता समीर खान को बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश की अनुशासन समिति ने 20 वर्ष तक भारत के किसी भी न्यायालय में विधि व्यवसाय करने से रोक लगा दी है तथा पंजीयन के समय अपने आपराधिक मुकदमों के शपथपत्र में न लिखने के कारण 50 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है।
दोनों पैरों से दिव्यांग महिला और उसके भाई के प्लाट पर कब्जे का प्रयास कर रहे एक फिरोजाबाद उत्तर प्रदेश के अधिवक्ता समीर खान पर काउंसिल की अनुशासन समिति ने 20 वर्ष तक वकालत करने पर रोक लगा दी है।
अधिवक्ता समीर खान अब देश के किसी भी अदालत में वकालत नहीं कर पाएंगे।
बार काउंसित्व में पंजीकरण के दौरान अपने ऊपर दर्ज मुकदमे छिपाने पर 50 हजार जुर्माना भी लगाया गया है।
पीड़ित महिला माहे निगार व उसके भाई ने 29 जून 2013 को 1500 वर्ग फुट का एक प्लाट खरीदा था। प्लाट के सामने अधिवक्ता समीर खान रहते हैं।
महिला ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश में दिए शिकायती पत्र में आरोप लगाया कि समीर खान उनके प्लाट को गुंडागर्दी व राजनैतिक पहुंच के बल पर हड़पना चाहते थे। इसके लिए वह परेशान करते थे। बाद में फर्जी तरीके से नोटरी अनुबंध पत्र 21 दिसंबर 2012 को तैयार किया। इसके आधार पर आरोपित ने प्लाट पर अपना स्वामित्व बताने की कोशिश की।
अनुबंध पत्र पर गवाह के रूप में जिस सलीम खान को दर्शाया था, उनकी मृत्यु छह मार्च 2011 को हो गई थी।
पीड़िता माहे निगार ने इस मामले में अधिवक्ता समीर खान के विरुद्ध 2018 में रामगढ़ थाने में प्राथमिकी भी लिखवाई थी।
बार काउंसिल ने मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुनाया। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधीर कुमार शर्मा ने बताया कि बार काउंसिल ने समीर खान की बार एसोसिएशन की सदस्यता भी समाप्त कर दी है।