नई दिल्ली | 21 फरवरी, 2025 – बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने दिल्ली की बार एसोसिएशनों से अपील की है कि वे चल रही हड़ताल को समाप्त कर सामान्य न्यायिक कार्यवाही बहाल करें। यह अपील प्रस्तावित एडवोकेट्स (संशोधन) विधेयक 2025 को लेकर वकीलों के विरोध के बीच की गई है।
बीसीआई अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि 20 फरवरी, 2025 को केंद्रीय कानून मंत्री, कानून सचिव और कानून एवं न्याय मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस विधेयक पर विस्तृत चर्चा हुई। इस संवाद के बाद वकीलों की वास्तविक चिंताओं पर स्पष्टता आई है और सकारात्मक आश्वासन मिले हैं।
बीसीआई का बयान:
“हमने माननीय कानून मंत्री, कानून सचिव और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ गहन विचार-विमर्श किया। इसके बाद कानून सचिव और उनकी टीम के साथ विशेष चर्चा हुई, जिसमें विधेयक को लेकर कानूनी समुदाय की आशंकाओं और अपेक्षाओं पर विस्तार से चर्चा की गई।”
बीसीआई के अनुसार, इन चर्चाओं के बाद कानून मंत्री ने वकीलों के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी विवादास्पद मुद्दों की पुनः समीक्षा और समुचित समाधान का आश्वासन दिया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कानूनी पेशे के स्वायत्त नियमन के खिलाफ कोई भी प्रावधान कानून में शामिल नहीं किया जाएगा।
हड़ताल समाप्त करने की अपील:
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इन सकारात्मक वार्ताओं और प्राप्त आश्वासनों के आधार पर सभी बार एसोसिएशनों और राज्य बार काउंसिलों से हड़ताल या विरोध प्रदर्शन से दूर रहने का निर्देश दिया है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया बाधित न हो।
“सरकार ने रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाया है और हमारे सुझावों को स्वीकार किया है। ऐसे में विरोध प्रदर्शन या बहिष्कार के बजाय संवाद करना अधिक आवश्यक है,” बीसीआई ने कहा।
आगे की रणनीति:
सभी राज्य बार काउंसिलों की एक बैठक 23 फरवरी, 2025 को बुलाई गई है। यदि भविष्य में किसी विशेष मुद्दे पर विरोध की आवश्यकता महसूस होती है, तो बीसीआई राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन का आह्वान उचित समय पर करेगी।
हालांकि, वर्तमान परिस्थितियों में इसका कोई औचित्य नहीं है क्योंकि सरकार वकीलों के मुद्दों को लेकर सकारात्मक रुख अपनाए हुए है।
बीसीआई ने वकीलों को आश्वस्त किया:
“बार काउंसिल ऑफ इंडिया पूरी सतर्कता के साथ अधिवक्ताओं के अधिकारों, हितों और विशेषाधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। हमें मिलकर कानूनी पेशे की गरिमा बनाए रखनी चाहिए और सरकार के साथ रचनात्मक संवाद को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि विधेयक में अनुकूल और न्यायसंगत संशोधन सुनिश्चित किए जा सकें।”
– बार काउंसिल ऑफ इंडिया
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