अल जजीरा की डॉक्यूमेंट्री “इंडिया…हु लिट द फ़्यूज़?” के भारत में प्रसारण/रिलीज़ के संबंध में इलाहाबाद HC ने यूनियन ऑफ इंडिया, सीबीएफसी को 4 सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया

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अल जजीरा की डॉक्यूमेंट्री “इंडिया….हु लिट द फ़्यूज़?” के भारत में प्रसारण/रिलीज़ के संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को भारत सरकार, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड और अल जजीरा मीडिया नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का और समय दिया।

ज्ञात हो की डॉक्यूमेंट्री ‌के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायलय में एक पब्लिक लिटिगेशन पिटीशन (सार्वजनिक हित याचिका) दायर की गई है। सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर कुमार ने फिल्म को इस आधार पर चुनौती दी है कि उक्त फिल्म के प्रसारण से नागरिकों के बीच वैमनस्य पैदा होने और राष्ट्र की अखंडता को खतरा होने की संभावना है।

इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने 14 जून को पब्लिक लिटिगेशन पिटीशन पर सुनवाई करते हुए फिल्म के प्रसारण की अनुमति देने से होने वाले ‘बुरे परिणामों’ के मद्देनजर भारत में फिल्म के प्रसारण/रिलीज करने पर रोक लगा दी।

न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की पीठ ने केंद्र सरकार और सूचना और प्रसारण मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने का भी निर्देश दिया कि फिल्म को तब तक प्रसारित करने की अनुमति न दी जाए जब तक कि इसकी सामग्री की जांच अधिकारियों द्वारा नहीं की जाती है, और सक्षम प्राधिकारी से आवश्यक प्रमाणीकरण/प्राधिकरण प्राप्त नहीं किया जाता है।

दाखिल सार्वजनिक हित याचिका में आरोप लगाया गया है कि फिल्म की रिलीज/प्रसारण से विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के बीच नफरत पैदा होने की संभावना है और इससे भारतीय राज्य के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नष्ट होने की संभावना है और इससे सामाजिक अशांति पैदा होने और सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता और नैतिकता को परेशान करने की संभावना है।

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याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि फिल्म जानबूझकर अपने विघटनकारी कथानक के माध्यम से भारत के सबसे बड़े धार्मिक समुदायों के बीच दरार पैदा करना और सार्वजनिक घृणा की भावना पैदा करना चाहती है।

इसमें यह भी कहा गया है कि फिल्म देश के विभिन्न धार्मिक संप्रदायों से संबंधित नागरिकों के बीच वैमनस्य पैदा करने के लिए तथ्यों के विकृत संस्करणों को प्रचारित करने का प्रस्ताव करती है।

अंत में, यह प्रस्तुत किया गया कि संबंधित फिल्म के प्रसारण के लिए अल जजीरा द्वारा लागू अधिनियमों के तहत सक्षम प्राधिकारी से कोई प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं किया गया था। इस कथन पर यूनियन ऑफ इंडिया की ओर से पेश वकील की ओर से भी विवाद नहीं किया गया।

केस टाइटल – सुधीर कुमार बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और 4 अन्य
केस नंबर – सार्वजनिक हित याचिका संख्या – 1407/2023

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