इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने पत्नी से दुष्कर्म के आरोपी सिपाही को राहत देते हुए लगाई उसकी गिरफ्तारी पर रोक

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इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने पत्नी से दुष्कर्म के आरोपी सिपाही को राहत देते हुए उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।

इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने सुनवाई करते हुए जौनपुर निवासी रणधीर पटेल व उनकी मां की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा है। हिम्मतगंज निवासिनी महिला ने अपनी पुत्री के साथ रेप व जाति सूचक शब्दों के साथ गाली-गलौच के आरोप में जार्जटाउन थाना प्रयागराज में एफआईआर दर्ज कराई है।

न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और विवेक कुमार सिंह की खण्डपीठ ने यह आदेश याची रणधीर पटेल और एक अन्य की ओर से एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका पर याची अधिवक्ता सुनील चौधरी और शिकायतकर्ता के अधिवक्ता मनोज कुमार यादव को सुन कर दिया।

फेसबुक सोशल मीडिया के माध्यम से हुई थी मुलाकात-

याची के अधिवक्ता सुनील कुमार चौधरी का कहना है कि पीड़िता की याची से फेसबुक के माध्यम से सीएमपी डिग्री काॅलेज में 2020 में मुलाकात हुई थी और परिवार को बिना बताए शादी कर लिया था। फिर 2 साल तक पति-पत्नी की तरह साथ रहे और मिलते रहे। इसी दौरान याची की नियुक्ति उत्तर प्रदेश पुलिस में कॉन्स्टेबल के पद पर होने से ट्रेनिंग में जाने पर याची का संपर्क टूट गया ।

जबरन चाकू की नोक पर रेप का आरोप-

आरोप है कि याची ने गर्दन पर चाकू रख कर जबरन रेप किया है और बाद में शादी का ढोंग रचकर उसकी मांग में सिंदूर भर दिया। पीड़िता ने पुलिस व मजिस्ट्रेट के समक्ष याचीगण के विरुद्ध बयान भी दिया है और पीड़िता का मेडिकल भी हो चुका है। कहा गया कि शिकायतकर्ता के भाई श्याम बाबू जो वकील हैं उन्होंने बरगला कर एफआईआर दर्ज कराई है। पुलिस द्वारा फोन करने पर अपने आपको वह लड़की का चाचा बताते हैं । पीड़िता अनुसूचित जाति की है और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमएससी पास किया है। पीड़िता याची की पत्नी है, लेकिन पीड़िता की मां याची की पत्नी को घर नहीं भेज रही है।

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शिकायतकर्ती के वकील और राज्य सरकार के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याची ने पीडि़ता की गर्दन पर चाकू रख कर जबरन दुष्कर्म किया है। पीडि़ता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष याची के विरूद्घ बयान भी दर्ज करवाया है।

कोर्ट ने मामले में याची को राहत देते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगा दी, साथ ही राज्य सरकार को दो हफ्ते में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश भी दिया है। गिरफ्तारी पर रोक पुलिस की फाइनल रिपोर्ट दाखिल होने तक जारी रहेगी।

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