उत्तर प्रदेश राज्य में जिला बहराइच Bahraich में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई हिंसा के बाद जारी ध्वस्तीकरण नोटिसों पर हाईकोर्ट ने राहत दी है। दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट Allahabad High Court की लखनऊ खंडपीठ ने अगली सुनवाई 27 नवंबर 2024 को नियत की है।
इस मामले में राज्य सरकार ने कोर्ट से मांगा गया जवाब दाखिल कर दिया है। याची ने इसका प्रतिउत्तर भी पेश कर दिया है। (Bulldozer Action)
सुनवाई के समय याची का प्रति उत्तर रिकार्ड (फाइल) पर नहीं था। इस पर कोर्ट ने अपने दफ्तर को इसे रिकार्ड पर रखने का आदेश दिया। हालांकि, मामले में कोर्ट ने अभी कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया है। फिलहाल ध्वस्तीकरण नोटिस मामले में 27 नवंबर तक कथित अतिक्रमणकर्ताओं को राहत रहेगी।
इससे पूर्व 6 नवंबर 2024 को कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को मौखिक निर्देश दिया था। सरकार फिलहाल ऐसी कोई कारवाई न करे, जो कानून सम्मत न हो। उधर, सरकारी वकीलों ने भी कानून सम्मत करवाई करने का आश्वासन दिया। कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार को चार बिंदुओं पर जवाब दाखिल करने और याची को इन पर आपत्तियां दाखिल करने का समय दिया था।
ध्वस्तीकरण नोटिसों को चुनौती दी गई-
मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ के समक्ष एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स संस्था की जनहित याचिका सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी। याचिका में कथित अतिक्रमणकर्ताओं को बीते 17 अक्तूबर को जारी ध्वस्तीकरण नोटिसों को चुनौती देकर इन्हे रद्द करने के निर्देश देने का आग्रह किया गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या नोटिसें जारी करने से पहले वहां कोई सर्वे किया गया था या नहीं?
कई सवालों पर बना संशय
क्या जिन्हें नोटिसें जारी हुईं वे लोग निर्मित परिसरों के स्वामी हैं या नहीं? नोटिस जारीकर्ता प्राधिकारी इन्हें जारी करने को सक्षम था या नहीं। इन बिंदुओं के अलावा कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा था कि महराजगंज बाजार की जिस सड़क पर बने निर्माणों को ढहाने की नोटिस जारी हुईं, क्या पूरा निर्माण या उसका कोई हिस्सा अवैध निर्माण था या नहीं?
राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद शाही मुख्य स्थाई अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह के साथ पेश हुए और कोर्ट को वांछित जानकारी दी।बता दें कि बहराइच के महाराजगंज में 13 अक्तूबर को हिंसा के बाद रामगोपाल मिश्रा की हत्या हो गई थी। इसके बाद वहां महाराजगंज के कथित अतिक्रमणकर्ताओं के निर्माणों को ढहाने की नोटिसें उन्हें जारी की गईं थीं।