‘फर्जी’ मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने के आरोप में दो चिकित्सकों के खिलाफ जांच के आदेश : इलाहाबाद हाईकोर्ट

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इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने हाल ही में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को दो चिकित्सको के आचरण की जांच करने का निर्देश देते हुए कहा है कि प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि उन्होंने घायल व्यक्ति के साथ मिलकर एक झूठी मेडिकल रिपोर्ट तैयार की थी, ताकि आरोपियों को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाया जा सके।

कोर्ट द्वारा अपराध क्रमांक 342 वर्ष 2022 के तहत धारा 147, 148, 149, 323, 307 आईपीसी, थाना सदर बाजार, जिला सहारनपुर के जमानत एप्लीकेशन पर सुनवाई कर रही थी जो ट्रेल कोर्ट में मुकदमे के लंबित रहने के कारण है।

न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी के बेंच ने वीबीआरओएस अस्पताल, सहारनपुर में काम करने वाले डॉ. ललित कौशिक और डॉ. इमरान के आचरण की जांच करने का आदेश दिया है। न्यायलय ने पाया कि घायल व्यक्ति को लगी चोट के संबंध में उनके द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट स्वाभाविक रूप से असंभव थी।

जानकारी हो कि जांच के दौरान डॉ. ललित कौशिक ने बताया कि घायल को दो गोली के घाव थे, गोली का प्रवेश बिंदु बाएं निप्पल के ऊपर था और गोली का निकास बिंदु बाएं निप्पल के नीचे था। ऐसा ही बयान डॉ. इमरान ने भी दिया। उनके बयानों और मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने कहा कि यह स्वाभाविक रूप से असंभव था कि छाती के सामने की तरफ से घुसने वाली गोली छाती के सामने की तरफ से ही बाहर निकलने का घाव बनाएगी।

कोर्ट ने दोनों चिकित्सकों के खिलाफ जांच का आदेश देते हुए कहा, ‘‘उपरोक्त तथ्य, प्रथम दृष्टया, वीबीआरओएस अस्पताल के डॉ. ललित कौशिक और डॉ. इमरान के आचरण के बारे में गंभीर संदेह पैदा करते हैं, जिन्होंने घायल रमन चौधरी की जांच और इलाज किया है।’’

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न्यायालय ने आरोपी घनश्याम पंडित को जमानत देते हुए यह आदेश पारित किया है, जिस पर पीड़ित की हत्या के इरादे से गोली चलाने का आरोप लगाया गया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि घायल व्यक्ति/पीड़ित की मेडिकल-लीगल जांच रिपोर्ट में एस.बी.डी. जिला अस्पताल, सहारनपुर (जहां पीड़ित को शुरू में भर्ती कराया गया था) ने उल्लेख किया है कि सभी चोटें साधारण प्रकृति की थी,जो किसी कठोर और कुंद वस्तु के कारण लगी थी।

न्यायालय ने आगे कहा कि बाद में पीड़ित को एक निजी अस्पताल में ले जाया गया (जहां उपरोक्त दो डॉक्टर काम करते हैं), जहां एक और रिपोर्ट तैयार की गई जिसमें उसकी छाती पर बंदूक की चोट की उपस्थिति का उल्लेख किया गया था।

“…यद्यपि घायल ने अपने बयान में कहा कि एक गोली उसके सीने में लगी थी, एसबीडी जिला अस्पताल, सहारनपुर द्वारा तैयार घायल की मेडिकल-लीगल जांच रिपोर्ट में गोली लगने से आई किसी चोट का उल्लेख नहीं है; एसबीडी जिला अस्पताल, सहारनपुर द्वारा तैयार की गई घायल की मेडिकल-लीगल जांच रिपोर्ट में दो मांसपेशियों के गहरे घाव का उल्लेख है, जिन्होंने घायल को निगरानी के तहत रखने की सलाह दी थी; घायल को एक निजी अस्पताल में ले जाया गया जहां उसे 16.06.2022 को भर्ती कराया गया और 20.06.2022 को छुट्टी दे दी गई और 29.06.2022 को तैयार किए गए मामले के सारांश में, डॉक्टर ने एक प्रवेश घाव और एक निकास घाव का उल्लेख किया है, जो दोनों छाती के सामने की तरफ बताए गए हैं।’’

इसे देखते हुए, मामले की मैरिट को प्रभावित करने वाली टिप्पणियां किए बिना, न्यायालय ने कहा कि उपरोक्त तथ्य आवेदक को जमानत पर रिहा करने के लिए मामला बनाने के लिए पर्याप्त हैं।

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इस आदेश की प्रति रजिस्ट्रार (अनुपालन) को भिजवाई जाए जिससे इस न्यायालय के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित हो।

केस टाइटल – घनश्याम पंडित बनाम यूपी राज्य
केस नंबर – CRIMINAL MISC. BAIL APPLICATION No. – 42581 of 2022

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