“बीसीआई ने बिना अनुमति वाले ऑनलाइन और डिस्टेंस एलएल.एम. पाठ्यक्रमों पर सख्ती की, सभी हाईकोर्टों को चेतावनी जारी”
नई दिल्ली | विधि संवाददाता
भारत में विधि शिक्षा की गुणवत्ता और वैधता को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने एक सख्त चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि बिना अनुमोदन के ऑनलाइन, डिस्टेंस या हाइब्रिड मोड में चलाए जा रहे एलएल.एम. (Master of Laws) कार्यक्रम पूर्णत: अवैध हैं और कानूनी शिक्षा की मान्यता को खतरे में डालते हैं।
यह पत्र दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं BCI की स्टैंडिंग कमेटी ऑन लीगल एजुकेशन के सह-अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन द्वारा तैयार किया गया है। इसे सुप्रीम कोर्ट और देशभर के सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल्स को भेजा गया है। साथ ही इसकी प्रतियां सभी विश्वविद्यालयों और राज्य बार काउंसिलों को भेजी गई हैं ताकि वे आवश्यक अनुपालन सुनिश्चित कर सकें और उल्लंघन की स्थिति में कार्रवाई करें।
“एलएल.एम. डिग्री केवल बीसीआई की अनुमति से मान्य”
बीसीआई ने स्पष्ट किया कि एलएल.एम. पाठ्यक्रम की निगरानी और मान्यता का अधिकार केवल एडवोकेट्स एक्ट, 1961 के तहत बीसीआई को है। यूजीसी (UGC) या कोई भी स्वायत्त संस्था एलएल.एम. LL.M. कार्यक्रमों को स्वतंत्र रूप से मान्यता नहीं दे सकती। एलएल.एम. विधिशिक्षा में अध्यापन के लिए न्यूनतम योग्यता है, और इसके स्तर में किसी भी प्रकार की गिरावट से पूरे विधि पेशे की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
गैर-अनुमोदित एलएल.एम. पाठ्यक्रमों पर बीसीआई की आपत्ति
बीसीआई ने यह चिंता जताई है कि विभिन्न संस्थान एलएल.एम. (प्रोफेशनल), एग्जीक्यूटिव एलएल.एम., या एम.एससी. इन साइबर लॉ जैसे वैकल्पिक नामों से पाठ्यक्रम चला रहे हैं, जो अनुमति के बिना अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। यह न केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है, बल्कि छात्रों के साथ धोखा और शैक्षणिक स्तर में गिरावट है।
सख्त निर्देश: नियुक्तियों और प्रोन्नतियों में अमान्य हो ऐसे डिग्रीधारी
बीसीआई ने उच्च न्यायालयों से अनुरोध किया है कि वे:
- BCI की नियामकीय सर्वोच्चता को न्यायिक रूप से स्वीकार करें,
- गैर-अनुमोदित एलएल.एम. डिग्रीधारकों को नियुक्तियों या पदोन्नति में स्वीकार न करें,
- संस्थानों और उम्मीदवारों से बीसीआई से अनुमोदन प्रमाणपत्र की मांग करें।
जल्द आएगा सार्वजनिक चेतावनी पत्र, अवहेलना पर अवमानना कार्रवाई की तैयारी
बीसीआई ने यह भी कहा है कि वह छात्रों को आगाह करने के लिए सार्वजनिक परामर्श (पब्लिक एडवाइजरी) जारी करेगा ताकि वे इन अवैध पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने से बचें। इसके अतिरिक्त, जो संस्थान इन दिशा-निर्देशों की अनदेखी करते पाए जाएंगे, उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई और अन्य विधिक उपाय अपनाए जाएंगे।
कानूनी शिक्षा के स्तर की रक्षा के लिए निर्णायक कदम
इस निर्णायक कदम के माध्यम से बीसीआई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पोस्टग्रेजुएट लीगल एजुकेशन को लेकर कोई शिथिलता या अपारदर्शिता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह कार्रवाई भारत में विधिक पेशे की प्रतिष्ठा को बचाए रखने और छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है।
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