बॉम्बे हाईकोर्ट को मिले दो नए एडीशनल जज: गौतम अश्विन अंकद और महेंद्र माधवराव नेर्लीकर की नियुक्ति अधिसूचित

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बॉम्बे हाईकोर्ट को मिले दो नए एडीशनल जज: गौतम अश्विन अंकद और महेंद्र माधवराव नेर्लीकर की नियुक्ति अधिसूचित

नई दिल्ली | विधि संवाददाता

कानून और न्याय मंत्रालय ने शुक्रवार को गौतम अश्विन अंकद और महेंद्र माधवराव नेर्लीकर को बॉम्बे हाईकोर्ट के एडीशनल जज के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना जारी कर दी है। यह नियुक्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद 224(1) के तहत की गई है, जो दो साल की अवधि के लिए होगी और उनकी सीनियरिटी के अनुसार कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से प्रभावी मानी जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के बाद नियुक्ति

इन दोनों अधिवक्ताओं के नामों की सिफारिश सितंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई थी। यह सिफारिश बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा अदालत के दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों से परामर्श के बाद अप्रैल 2024 में प्रस्तावित की गई थी। नामों पर निर्णय लेने से पहले कॉलेजियम और न्याय विभाग ने इनके व्यक्तित्व, व्यावसायिक योग्यता और नैतिक आचरण का विस्तृत मूल्यांकन किया।

गौतम अश्विन अंकद: वाणिज्यिक कानून के विशेषज्ञ

गौतम अंकद को सभी परामर्शी न्यायाधीशों का सर्वसम्मति से समर्थन प्राप्त हुआ। न्याय विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, अंकद की पेशेवर छवि उत्कृष्ट रही है और उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल तथ्य दर्ज नहीं हुआ। पिछले पांच वर्षों में उनकी औसत पेशेवर आय ₹226.55 लाख रही, जो उनके मजबूत कानूनी अभ्यास को दर्शाती है।

उन्होंने अब तक 56 रिपोर्टेड मामलों में पक्ष रखा है और विशेष रूप से कॉमर्शियल लॉ, कॉन्ट्रैक्ट विवादों और आर्बिट्रेशन मामलों में विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें हाईकोर्ट न्यायाधीश के रूप में पूरी तरह सक्षम और उपयुक्त माना।

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महेंद्र माधवराव नेर्लीकर: सामाजिक समावेशन का प्रतीक

महेंद्र नेर्लीकर को भी चार में से तीन परामर्शी न्यायाधीशों से सकारात्मक राय प्राप्त हुई। न्याय विभाग ने उनके नैतिक व्यवहार और सार्वजनिक छवि की पुष्टि की। उनके पास दो दशकों से अधिक का विविध कानूनी अनुभव है, जिसमें दीवानी, फौजदारी, संवैधानिक, श्रम और सेवा कानून शामिल हैं।

उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के लिए सहायक सरकारी वकील एवं अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में 2013 से 2023 तक और नवंबर 2023 के बाद से अब तक सेवा दी है। वह अनुसूचित जाति समुदाय से आते हैं, जिससे न्यायपालिका में सामाजिक समावेशन और विविधता के प्रति प्रतिबद्धता भी परिलक्षित होती है। कॉलेजियम ने उन्हें भी न्यायिक पद के लिए पूरी तरह उपयुक्त माना।

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