acquittal of Ram Bahadur Bomjan, popularly known as “Buddha Boy”, in the Nepal child sexual abuse case:
🧘♂️ “बुद्ध बॉय” राम बहादुर बोंजन को यौन शोषण मामले में हाई कोर्ट से बरी
जनकपुर हाई कोर्ट, नेपाल ने आध्यात्मिक गुरु के रूप में चर्चित राम बहादुर बोंजन उर्फ “बुद्ध बॉय” को बाल यौन शोषण के एक बहुचर्चित मामले में बरी कर दिया है।
⚖️ कोर्ट का फैसला:
- हाई कोर्ट की संयुक्त पीठ – न्यायाधीश खेमराज भट्ट और नरिश्वर भंडारी – ने 19 मार्च, 2025 को यह फैसला सुनाया।
- यह फैसला सरलाही जिला अदालत के 2024 के फैसले को उलटते हुए दिया गया, जिसमें बोंजन को 10 साल की सजा सुनाई गई थी।
- बोंजन को 20 मार्च को सिन्धुपालचोक जेल से रिहा कर दिया गया।
📝 कोर्ट ने कहा: “मूल शिकायत, जांच और अभियोजन में कानूनी खामियाँ थीं। आरोप तय करने से पहले statute of limitations (सीमित अवधि के भीतर शिकायत दर्ज करने की बाध्यता) का पालन नहीं किया गया। इसलिए अभियुक्त दोषमुक्त है।”
🧾 पृष्ठभूमि:
- गंगामाया तमांग नामक पीड़िता ने 10 अक्टूबर 2019 को बोंजन के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी।
- आरोप था कि जब वह 4 अगस्त 2016 को बोंजन के आश्रम (सिन्धुपालचोक) में थी, तो बोंजन ने बलात्कार किया।
- पीड़िता ने बालावस्था में हुए यौन उत्पीड़न की शिकायत 18 वर्ष की आयु पार करने के बाद दर्ज करवाई, जो कि बाल अधिकार अधिनियम के तहत अनुमति प्राप्त है।
🚔 जांच व कार्रवाई:
- केंद्रीय जांच ब्यूरो (CIB) ने बोंजन को 10 जनवरी 2024 को काठमांडू के बाहर से गिरफ्तार किया था।
- बोंजन के खिलाफ 12 से 14 वर्ष की सजा और क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए केस दर्ज हुआ।
- सरलाही जिला अदालत ने 1 जुलाई 2024 को 10 वर्ष की सजा और 5 लाख नेपाली रुपये जुर्माना सुनाया था।
🧑⚖️ हाई कोर्ट की आपत्तियाँ:
- केस फाइलिंग की वैधता पर सवाल।
- शिकायत, जांच और अभियोगन में प्रक्रियात्मक खामियाँ।
- गवाहों व सबूतों की पर्याप्तता पर कोर्ट असंतुष्ट।
“सरकारी वादी के दावे टिकाऊ नहीं हैं। यह अभियोजन दोषपूर्ण था।” — हाई कोर्ट
🔍 अन्य गंभीर आरोप:
- 2020 में एक नाबालिग (15 वर्षीया) महिला शिष्या ने भी यौन शोषण का आरोप लगाया।
- पुलिस जांच में पता चला कि चार शिष्य आश्रम से लापता हैं।
- बोंजन 2020 से फरार चल रहे थे और नेपाल पुलिस ने कई जिलों में आश्रमों पर छापेमारी की थी।
🧘♂️ कौन हैं राम बहादुर बोंजन (बुद्ध बॉय)?
- 2005 में चर्चाओं में आए, जब उन्होंने दावा किया कि वे बिना भोजन-पानी और नींद के महीनों तक ध्यान में लीन रहे।
- उन्हें कई अनुयायियों ने गौतम बुद्ध का अवतार माना।
- नेपाल के बारा, सरलाही, सिन्धुपालचोक और सिन्धुली में उन्होंने आश्रम स्थापित किए।
- वर्षों तक उनके खिलाफ बलात्कार, यौन उत्पीड़न, और गायब लोगों से जुड़े कई मामले दर्ज हुए।
📌 निष्कर्ष:
जनकपुर हाई कोर्ट के इस फैसले ने इस विवादित धर्मगुरु को अस्थायी राहत जरूर दी है, लेकिन सार्वजनिक छवि और कानूनी चुनौतियां अभी शेष हैं।
चूंकि बोंजन के खिलाफ अनेक अन्य गंभीर आरोप भी लम्बित हैं, यह देखना दिलचस्प होगा कि नेपाल की न्यायिक व्यवस्था आगे किस प्रकार से इन मामलों पर विचार करती है।
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