दिल्ली कड़कड़डूमा कोर्ट में वकील की पेशेवर आचरणहीनता का मामला हाईकोर्ट और बार काउंसिल के पास भेजा गया
हाल ही में दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में एक घटना के बाद एक अधिवक्ता की कथित पेशेवर आचरणहीनता (Professional Misconduct) पर सवाल उठे हैं, जिसके चलते अदालत ने इस मामले को दिल्ली बार काउंसिल और दिल्ली हाईकोर्ट के पास परीक्षण के लिए भेजने का आदेश दिया है।
यह निर्णय उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान सामने आई घटनाओं की श्रृंखला के संदर्भ में आया। अदालत ने पाया कि अधिवक्ता अनिल कुमार गोस्वामी दो अभियुक्तों की ओर से पेश हो रहे थे और स्वयं को उनका वकील बता रहे थे।
हालांकि, बाद में यह सामने आया कि गोस्वामी का नाम वकालतनामा में दर्ज अधिवक्ता पंजीकरण संख्या (Enrollment Number) से मेल नहीं खाता। प्रारंभ में उन्होंने खुद को मुख्य अधिवक्ता बताया, लेकिन बाद में कहा कि वे केवल “प्रॉक्सी काउंसिल” हैं — जिससे उनके इरादों पर संदेह उत्पन्न हुआ।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (ASJ) पुलस्त्य प्रमचला ने रिकॉर्ड में यह उल्लेख किया कि गोस्वामी ने हालिया तारीखों में अपनी उपस्थिति मुख्य वकील के रूप में दर्ज की थी, लेकिन इस सुनवाई में उन्होंने स्वयं को केवल प्रतिनिधि अधिवक्ता बताया।
न्यायाधीश प्रमचला ने कहा,
“इन परिस्थितियों में अनिल कुमार गोस्वामी को अभियुक्तों के अधिकृत अधिवक्ता के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। अतः अभियोजन पक्ष के गवाह निरीक्षक राजीव कुमार की जिरह स्थगित की जाती है, और प्रत्येक अभियुक्त को ₹2000 की लागत अगली सुनवाई पर जमा करने का निर्देश दिया जाता है।”
अदालत अब इस बात की जांच चाहती है कि क्या गोस्वामी का आचरण उस पेशेवर मानदंडों पर खरा उतरता है जिसकी अपेक्षा अधिवक्ताओं से की जाती है। न्यायालय ने कहा कि वकील का यह व्यवहार “संदेहास्पद और आपत्तिजनक” है।
“अतः यह मामला दिल्ली बार काउंसिल और दिल्ली हाईकोर्ट को इस बिंदु पर भेजा जाता है कि क्या यह आचरण एक वकील के पेशेवर मूल्यों के अनुरूप है, और क्या यह न्यायिक कार्यवाही को बदनाम करने के प्रयास में आता है।”
जिरह के दौरान, गोस्वामी ने अदालत को बताया कि मुख्य वकील अचानक अपने पैतृक स्थान चले गए हैं, इसलिए आज जिरह नहीं की जा सकती। इस पर अदालत ने प्रश्न किया कि जब वे पिछले कई मौकों से मुख्य अधिवक्ता के रूप में उपस्थित हो रहे थे, तो क्या वे गवाह की जिरह के लिए तैयार नहीं थे?
इस पर गोस्वामी ने जवाब दिया कि वे केवल प्रॉक्सी काउंसिल हैं। अदालत ने रिकॉर्ड दिखाकर उन्हें याद दिलाया कि वे स्वयं को मुख्य अधिवक्ता बता चुके हैं और वकालतनामा पर हस्ताक्षर का दावा भी कर चुके हैं।
इसके बाद गोस्वामी ने तीखा जवाब देते हुए कहा,
“कोई स्कोर सेटल कर रहे हैं क्या?”
“मुझे क्या मालूम आपने और स्टेनो ने क्या लिखा?”
उनके इन बयानों को अदालत ने “अप्रत्याशित, अपमानजनक और अपेशेवर” करार दिया।
ASJ प्रमचला ने कहा:
“इस प्रकार की प्रतिक्रियाएं यह दर्शाती हैं कि अधिवक्ता अदालत में किसी अन्य मंशा से आए थे। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि यह व्यवहार वकीलों के लिए निर्धारित बार काउंसिल के नियमों के अनुसार पेशेवर नहीं कहा जा सकता।”
यह मामला अब बार काउंसिल और उच्च न्यायालय के समक्ष पेश होगा, जहां से संभवतः गोस्वामी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की जा सकती है।
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