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छठ पूजा (Chhath Puja) की शुरुआत दो दिन पहले चतुर्थी तिथि को नहाय खाय से होती है, फिर पंचमी को लोहंडा-खरना होता है. जिसके बाद षष्ठी तिथि को छठ पूजा होती है. जिसमें सूर्य देव को शाम का अर्घ्य अर्पित किया जाता है.
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देशभर में छठ का त्योहार 20 नवंबर को मनाया जाएगा. छठ पूजा की शुरुआत 18 नवंबर से नहाय – खाय के दिन शुरू होगा. जिसके बाद इसे छठ पूजा के दिन सूर्योदय अर्घ्य के बाद खोला जाएगा. छठ पूजा के दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर संतान के सुखी -जीवन की कामना के लिए किया जाता है.
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छठ पर्व जो बिहार से शुरू हुआ था को अब देश में कई जगहों पर मनाया जाता है. गोरखपुर, आजमगढ़,वाराणसी,मऊ,कुशीनगर, देवरिआ,बलिया होते हुए ये पर्व लगभग पुरे उत्तर प्रदेश में धूम धाम से मनाया जाता है.
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छठ पूजा (Chhath Puja) की शुरुआत दो दिन पहले चतुर्थी तिथि को नहाय खाय से होती है, फिर पंचमी को लोहंडा-खरना होता है. जिसके बाद षष्ठी तिथि को छठ पूजा होती है. जिसमें सूर्य देव को शाम का अर्घ्य अर्पित किया जाता है. इसके बाद अगले दिन सप्तमी को सूर्योदय के समय में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और फिर पारण करके व्रत को पूरा किया जाता है. छठ का त्योहार चार दिन का होता है.
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छठ का व्रत सबसे कठिन होता है. इस व्रत के दौरान लोग 36 घंटे तक खाना और पानी नहीं पीते है. छठी मईया का व्रत के साथ नियम भी काफी कठिन होते है. आइए जानते हैं कौन है छठी मईया.
कौन हैं छठी मईया?
कार्तिक महीने की षष्टी को छठ का त्योहार मनाया जाता है. षष्ठी मईया को बिहार के लोग आसान भाषा में छठी मईया कहकर पुकारते हैं. मान्यता है कि छठ के पूजा के दौरान पूजी जाने वाली छठी मईया (Chhathi Maiya) भगवान सूर्य की बहन हैं. इसीलिए लोग भगवान सूर्य को प्रसन्न करते हैं. छठी मईया की पूजा संतान प्राप्ति के लिए भी की जाती है. इस वर्त को खासकर वह लोग करते हैं जिन्हें संतान प्राप्ति नहीं होती है. बाकि सभी लोग अपने बच्चों के अच्छे भविष्य और सुख समृद्धि के लिए छठ मनाते हैं. वहीं मां दुर्गा के कात्यायनी देवी को भी छठ माता का ही रूप माना जाता है.