कानून और न्याय मंत्रालय के द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बॉम्बे उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने नए आपराधिक कानूनों पर अपनी राय रखी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नए बनाए गए आपराधिक कानूनों का स्वागत किया जाना चाहिए। रविवार को एक कार्यक्रम में जस्टिस उपाध्याय ने कहा, बदलाव का विरोध करना स्वाभाविक मानवीय प्रवृत्ति है,
लेकिन कानूनों में हुए बदलाव को बदली हुई मानसिकता के साथ स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने नए कानूनों को प्रभावी तरीके से धरातल पर उतारे जाने का जिक्र करते हुए कहा, कानून के कार्यान्वयन के लिए जवाबदेह लोगों को अपनी जिम्मेदारी गंभीरता से निभानी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, किसी भी बदलाव के लिए इंसान सहजता से तैयार नहीं होता। ये स्वाभाविक भी है। कंफर्ट जोन से बाहर आने से हम कतराते हैं, लेकिन अज्ञात डर प्रतिरोध का कारण बनता है जिससे हमारे तर्क प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा, नए आपराधिक कानूनों का मकसद न्यायिक देरी को रोकना और सूचना प्रौद्योगिकी का बेहतर, सुरक्षित और मजबूत इस्तेमाल की शुरुआत करना है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय के मुताबिक आपराधिक न्याय प्रणाली एक सदी से भी अधिक पुरानी हो चुकी है। नए कानून भी अपने साथ कुछ चुनौतियां लेकर आएंगे, लेकिन हमें बदली हुई मानसिकता के साथ इन बदलावों को स्वीकार करना होगा। अपने कंफर्ट जोन से बाहर आकर इसका कार्यान्वयन सुनिश्चित करना होगा।
जाने कौन से कानूनों में हुआ बदलाव; कब से प्रभावी होंगे कानून-
ज्ञात हो कि देश में अंग्रेजों के जमाने से चल रहे तीन आपराधिक कानून 1 जुलाई से बदल जाएंगे। दिसंबर 2023 में संसद द्वारा पारित तीन कानून अगले महीने से पूरे देश में प्रभावी हो जाएंगे। तीनों नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम कहे जाएंगे, जो क्रमश: भारतीय दंड संहिता (1860), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1898) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) का स्थान लेंगे।
कानूनों में बदलाव पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के तर्क-
ज्ञात हो कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को 12 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार ने लोकसभा में तीन संशोधित आपराधिक विधियकों को पेश किया था। इन विधेयकों को लोकसभा ने 20 दिसंबर, 2023 को और राज्यसभा ने 21 दिसंबर, 2023 को मंजूरी दी।
राज्यसभा में विधेयकों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए जाने के बाद ध्वनि मत से पारित किया गया था। इसके बाद 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद विधेयक कानून बन गए लेकिन इनके प्रभावी होने की तारीख 1 जुलाई, 2024 रखी गई। संसद में तीनों विधेयकों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इनमें सजा देने के बजाय न्याय देने पर फोकस किया गया है।