खुद को हाई कोर्ट जस्टिस बता ACP से रिट पेटिशन की जांच करने को कहा, थाने पहुंचते ही खुल गई पोल, हुआ गिरफ्तार

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समयपुर बादली सब-डिवीजन के ACP अनुराग द्विवेदी को 16 दिसंबर के दिन एक व्हाट्सप्प संदेश Whatsapp Message प्राप्त हुआ। व्हाट्सप्प संदेश में सामने वाले ने लिखा था- वह हाईकोर्ट का सिटिंग जज है और ACP तुरंत उसे कॉल करें।

अपने आपको हाईकोर्ट का सिटिंग जज बताकर पुलिसवालों को ब्लैकमेल कर 5 लाख की उगाही की कोशिश करने वाले एक शख्स को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

जानकारी हो की समयपुर बादली सब-डिवीजन के ACP अनुराग द्विवेदी को 16 दिसंबर के दिन एक व्हाट्सप्प मैसेज Whatsapp Message प्राप्त हुआ। मैसेज में सामने वाले ने लिखा था- वह हाईकोर्ट का सिटिंग जज है और ACP तुरंत उसे कॉल करें। ACP ने कॉल किया तो सामने वाले ने कहा कि Writ Petition के सिलसिले में वह शाम 5 बजे समयपुर बादली थाने पहुंचेंगे।

रिट पेटिशन की जांच करने आया था-

ACP बादली ने तुरंत इस मैसेज को SHO समयपुर बादली को दे दिया। शाम 5 बजे जब थाने के थानाध्यक्ष संजय कुमार अपने कमरे में बैठे थे, तभी करीब 65 साल की उम्र का एक शख्स के कमरे में दाखिल हुआ। उसने खुद को हाईकोर्ट का न्यायाधीश बताया। उसने बताया कि समयपुर बादली इलाके में संगठित अपराध को लेकर दायर एक याचिका Writ Petition के मामले में वह खुद जांच करने के लिए आए हैं।

तथाकथित उम्रदराज जज ने आगे कहा, 15 दिसंबर को उन्होंने इस मामले को बीट कांस्टेबल पवन के साथ सुलझाने की कोशिश की थी। लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद उस शख्स ने SHO से कहा कि Writ Petition पर कार्रवाई न हो, इसके लिए वह उसे 5 लाख दे दे। नहीं तो वह मुश्किल में पड़ जाएगा और उसकी नौकरी भी जा सकती है।

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कार से हुई पहचान

हाईकोर्ट के किसी जज के थाने में आने की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली थी, इस वजह से थाने के क्षेत्राधिकारी SHO को सामने वाले पर शक हुआ। इसके बाद पुलिस ने सामने वाले शख्स की पहचान करने की कोशिश शुरू कर दी। थाने में वह अपनी टाटा नैनो कार से पहुंचा था। कार के रजिस्ट्रेशन से ही पुलिस को उसके घर का पता प्राप्त किया और जांच की तो सब कुछ पता चल गया।

FIR दर्ज और कार भी जब्त-

जांच करने पर पुलिस को पता लगा कि उस फर्जी जज का नाम नरेंद्र अग्रवाल है और वह आदर्श नगर का रहने वाला है। जब पुलिस ने नरेंद्र अग्रवाल के मोबाइल की जांच की तो पता लगा कि उसने इस तरीके के कई मैसेज (खुद को जज बताकर) भेजकर सामने वालों को धमकी दी है। जांच में पता लगा कि नरेंद्र अग्रवाल अक्सर पुलिसवालों को हाईकोर्ट का जज बनकर धमकी देता रहता है। इसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर नरेंद्र अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया और उसकी कार को भी जब्त कर लिया।

कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने से पता लगी की जज की पावर क्या होती है –

पुलिस के मुताबिक, नरेंद्र अग्रवाल 11वीं तक पास है और उसका पहले ऑयल का बिजनेस था। बाद में उसने स्टॉक मार्केट में पैसे लगाए, लेकिन उसे वहां पर नुकसान हो गया। 1995 में पहली पत्नी की मौत के बाद नरेंद्र ने 1996 में दूसरी शादी कर ली थी, लेकिन दूसरी पत्नी ने नरेंद्र के खिलाफ 2011 में दहेज के लिए मारपीट और प्रताड़ना की एफआईआर दर्ज करा दी। यह मामला कोर्ट में पहुंचा और कोर्ट की करवाई से ही नरेंद्र को पता लगा कि जज की कितनी पावर होती है। इसके बाद उसने इस तरीके की हरकतें शुरू कर दीं।

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