Compassionate Appointment: अवैध संतान को अनुकंपा नियुक्ति मिलनी चाहिए या नहीं? हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला-

Compassionate Appointment: अवैध संतान को अनुकंपा नियुक्ति मिलनी चाहिए या नहीं? हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला-

भले ही कोई अवैध संतान हो, लेकिन अगर वह मृतक सरकारी कर्मचारी का बेटा है तो वह अनुकंपा के आधार पर अनुकम्पा नियुक्ति के लिए अहर्य होगा और विचार किए जाने का हकदार होगा। उसे इस आधार पर मना नहीं किया जा सकता कि वह अवैध संतान है।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट

  • सरकारी कर्मचारी की मौत के बाद दो शादियों के चलते अनुकम्पा नियुक्ति पर फंसा पेच
  • दूसरी पत्नी के बेटे को कॉर्पोरेशन ने अनुकंपा नियुक्ति देने से इनकार किया
  • हाई कोर्ट का फैसला, वैध-अवैध कहकर इनकार नहीं कर सकते अनुकम्पा नियुक्ति

अवैध संतान को अनुकंपा नियुक्ति (Compassionate Job) मिलनी चाहिए या नहीं?

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट Chatishgarh High Court ने अवैध संतान को अनुकंपा नियुक्ति Compassionate Appointment मिलनी चाहिए या नहीं इस दुविधा भरी स्थिति को लेकर महत्वपूर्ण फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि पिता की मौत पर ‘अवैध’ संतान को भी अनुकंपा नौकरी दी जा सकती है। पीयूष कुमार अंचल की याचिका पर न्यायमूर्ति संजय कुमार अग्रवाल की पीठ ने छत्तीसगढ़ स्टेट वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन से अनुकंपा नियुक्ति के लिए याचिकाकर्ता के आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया है।

दूसरी पत्नी के बेटे जो मृतक के अवैध पुत्र है-

छत्तीसगढ़ स्टेट वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन ने पीयूष कुमार अंचल द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति के लिए दिए आवेदन को यह कहकर खारिज कर दिया था कि वह वैध उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं कर सके। याचिका के मुताबिक वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन की प्रतापपुर ब्रांच में मोहन लाल अंचल जूनियर असिस्टेंट के पद पर कार्यरत थे। कोरोना संक्रमण से उनकी मौत हो गई। याचिकाकर्ता पीयूष अंचल ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने कहा कि वह मोहन की दूसरी पत्नी के बेटे हैं और इसलिए उन्होंने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया है।

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पहली पत्नी के बेटे ने भी दी अर्जी-

मृतक मोहन लाल अंचल की पहली पत्नी का बेटा होने का दावा करने वाले सुरेश कुमार अंचल ने भी अनुकंपा नियुक्ति के लिए दावा प्रस्तुत किया । वहीं, पीयूष कुमार अंचल ने याचिका में बताया कि उनके पिता ने उनकी मां का नाम विभागीय नॉमिनेशन फॉर्म Departmental Nomination Form में भी दर्ज कराया था। जब उन्होंने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया तो छत्तीसगढ़ स्टेट वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन ने उन्हें उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जमा कराने को कहा।

कोर्ट ने कहा वैध या अवैध संतान नहीं-

छत्तीसगढ़ स्टेट वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन ने पीयूष कुमार अंचल के दावे को यह कहकर ठुकरा दिया कि वह वैध उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जमा नहीं कर सके। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मृतक कर्मचारी की संतानों को वैध और अवैध के तौर पर बांटकर और वैध संतान का ही अधिकार मानकर पॉलिसी में किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति संजय कुमार अग्रवाल की पीठ ने कहा, ‘भले ही कोई अवैध संतान हो, लेकिन अगर वह मृतक सरकारी कर्मचारी का बेटा है तो वह अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए विचार किए जाने का हकदार होगा। उसे इस आधार पर मना नहीं किया जा सकता कि वह अवैध संतान है।’

हाई कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए छत्तीसगढ़ स्टेट वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन से पीयूष और सुरेश दोनों के आवेदनों पर विचार करने के लिए कहा है और नियमों के तहत मेरिट के आधार पर 45 दिन के भीतर फैसला किया जाए।

In view of the aforesaid analysis, the impugned order dated 2-12-2021 directing to produce succession certificate is hereby set aside and the matter is remitted to the respondent authorities to consider the applications of the petitioner and one Suresh Kumar Anchal – sons of the deceased Government servant for compassionate appointment after giving them an opportunity to file representation qua their entitlement / eligibility in light of the observations made herein-above. Decision will be taken within 45 days from the date of receipt of a copy of this order on its own merit, in accordance with law.

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इससे पूर्व जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा था कि दूसरी शादी (अमान्य है) से पैदा हुआ बच्चा वैध है और उसे अनुकंपा के आधार पर नौकरी से मना नहीं किया जा सकता है। दरअसल, पहली शादी के होते हुए हिंदू मैरिज ऐक्ट में दूसरी शादी अवैध मानी जाती है।

Head Note Illegitimate son is also entitled to be considered for compassionate appointment.

केस टाइटल – पीयूष कुमार अंचल बनाम छत्तीसगढ़ स्टेट
केस नंबर – Writ Petition (S) No.1034 of 2022
कोरम – न्यायमूर्ति संजय कुमार अग्रवाल

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