1984 के खौफनाक सिख विरोधी दंगा मामला: कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत

1984 के खौफनाक सिख विरोधी दंगा मामला: कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत

1984 के खौफनाक सिख दंगा मामले में आजीवन कारावास की सजा पाने वाले कांग्रेस नेता सज्जन कुमार और बलवान खोखर की सजा स्थगित करने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि वह सज़ा के खिलाफ दोनों की अपील पर जुलाई में अंतिम सुनवाई करेगा। अगर तब सुनवाई न हो तो दोनों सजा स्थगित करने की प्रार्थना कोर्ट से कर सकते हैं।

17 दिसंबर 2018 को दिल्ली हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार को दंगे के एक मामले में जीवन भर जेल में रखने की सजा दी थी। साथ ही, बलवान खोखर समेत कुछ और दोषियों को निचली अदालत से मिली सजा को बरकरार रखा था। जिस मामले में इन लोगों को सज़ा मिली है, वह दिल्ली के राज नगर इलाके में 5 सिखों की हत्या का है।

पूर्व में भी कर चुके हैं रिहाई की मांग

इससे पहले भी सज्जन कुमार कई बार सुप्रीम कोर्ट से जमानत की मांग कर चुके हैं। लेकिन कोर्ट ने इससे मना किया है। 2021 में सज्जन ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए भी ज़मानत याचिका दाखिल की थी। उन्होंने अपने खर्चे पर गुरुग्राम के मेदांता हस्पताल में इलाज की भी अनुमति मांगी थी। लेकिन 3 सितंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा था, “आप जघन्य अपराध के दोषी हैं। वीआईपी सुविधा की उम्मीद मत कीजिए। अगर जेल अधिकारियों और डॉक्टरों को जरूरी लगेगा तो वह आप को हस्पताल ले जाएंगे।”

वर्ष 2018 को सुनाई थी सजा

17 दिसंबर 2018 को दिल्ली हाई कोर्ट ने बलवान खोखर और सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस दौरान हाई कोर्ट ने पूर्व नेवी अधिकारी भागमल के अलावा, कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर, गिरधारी लाल और दो अन्य को ट्रायल कोर्ट से मिली सजा को बरकरार रखा था। सज्जन कुमार ने 31 दिसंबर 2018 को कड़कड़डूमा कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था।

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