उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को 7.29 करोड़ का मुआवजा 6 साल के ब्याजके साथ देने का दिया निर्देश

उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को 7.29 करोड़ का मुआवजा 6 साल के ब्याजके साथ देने का दिया निर्देश

अतिरिक्त जिला उपभोक्ता निवारण आयोग, ठाणे ने आठ साल पुराने मामले में फैसला सुनाते हुए बीमा कंपनी को मुआवजा देने का निर्देश दिया। उपभोक्ता आयोग ने एक बीमा कंपनी को 2015 में नवी मुंबई में रासायनिक कंपनी के एक प्लांट में आग लगने की घटना को लेकर कंपनी को 7.29 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया।

आयोग के अध्यक्ष रवींद्र P. नागरे ने 21 मार्च को पारित आदेश में बीमा पक्ष फ्यूचर जेनेरली इंडिया इन्शुरन्स कंपनी को लापरवाही, सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए दोषी ठहराया।

अतिरिक्त जिला उपभोक्ता निवारण आयोग, ठाणे द्वारा आदेश की प्रति बुधवार को उपलब्ध करायी गई।

45 दिनों के भीतर भुगतान का आदेश, अन्यथा-

उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी से दावाकर्ता संगदीप Acid Chem Pvt Ltd को 29 अक्तूबर, 2017 से राशि की प्राप्ति तक नौ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ भुगतान करने के लिए कहा। उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को शिकायतकर्ता के मानसिक उत्पीड़न के लिए 25 लाख रुपये और मुकदमेबाजी की लागत के लिए एक लाख रुपये भुगतान करने का भी आदेश दिया। उपभोक्ता पैनल ने कहा कि बीमाकर्ता आदेश की तारीख से 45 दिनों की अवधि के भीतर आदेश का पालन करेगा, ऐसा करने में विफल रहने पर वह 12 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा।

शिकायतकर्ता ने आयोग को बताया कि नवी मुंबई के कोपरखैरने इलाके में स्थित उसके संयंत्र का 15 करोड़ रुपये का बीमा किया गया था। आठ नवंबर, 2015 को संयंत्र में भीषण आग लग गई और वह पूरी तरह से नष्ट हो गया। बीमाकर्ता के सर्वेक्षणकर्ताओं ने बताया कि नुकसान 14 करोड़ रुपये का था। सर्वेक्षणकर्ताओं द्वारा भवन, संयंत्र, मशीनरी और प्रयोगशाला उपकरणों की हानि का आकलन 4.75 करोड़ रुपये किया गया था, जिसे बीमाकर्ता ने शेष राशि को अस्वीकार करते हुए तय किया था।

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अस्वीकृति को न्यायोचित बताते हुए बीमाकर्ता ने कहा था कि स्टॉक के नुकसान के दावे को इस आधार पर अस्वीकार किया जा रहा था कि शिकायतकर्ता स्टॉक के प्रति अपने नुकसान को साबित करने में सक्षम नहीं था और कुछ जरूरी चीजों का अनुपालन नहीं किया गया था। आयोग ने अपने आदेश में कहा कि तथ्य यह है कि शिकायतकर्ता के संयंत्र के सभी रिकॉर्ड पूरी तरह से नष्ट हो गए थे और शिकायतकर्ता के पास अधिकांश डाटा हासिल करने का कोई और रास्ता नहीं था।

बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority) की एक अधिसूचना के अनुसार, अंतिम सर्वेक्षण रिपोर्ट प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर बीमा कंपनी दावे का निपटान करने में विफल रहा। इस मामले में, स्टॉक के बारे में अंतिम सर्वेक्षण रिपोर्ट 29 सितंबर, 2017 को प्राप्त हुई थी। इसके अनुसार, बीमा कंपनी को 29 अक्टूबर, 2017 को दावे का निपटान करना था, लेकिन उसने अंतिम सर्वेक्षण रिपोर्ट प्राप्त करने की तारीख से लगभग 10 महीने बाद 6 अगस्त, 2018 को दावे को खारिज कर दिया। उपभोक्ता आयोग ने कहा कि इस देरी के बारे में बीमा कंपनी द्वारा कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है और यह उसकी ओर से लापरवाही, सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार को दर्शाता है।

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