रेस्तरां ग्राहकों पर जबरन सर्विस चार्ज नहीं थोप सकते – दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि खाने के बिल पर सर्विस चार्ज का भुगतान पूरी तरह स्वैच्छिक है और इसे ग्राहकों पर जबरन नहीं थोपा जा सकता। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की पीठ ने केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) के दिशानिर्देशों को चुनौती देने वाली होटल और रेस्तरां संगठनों की याचिकाओं को खारिज कर दिया।
रेस्तरां ग्राहकों पर सर्विस चार्ज थोपने के लिए बाध्य नहीं
याचिकाओं में होटल और रेस्तरां को बिल में अनिवार्य रूप से सर्विस चार्ज जोड़ने से रोकने की मांग की गई थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह का अनिवार्य शुल्क उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन और कानून के विपरीत है।
बेंच ने अपने आदेश में कहा:
“ग्राहकों को स्वेच्छा से टिप देने से नहीं रोका जा सकता, लेकिन खाने के बिल पर अनिवार्य रूप से सर्विस चार्ज जोड़ना भ्रामक हो सकता है। इससे उपभोक्ताओं को यह आभास हो सकता है कि यह कोई कर (टैक्स) जैसे जीएसटी का हिस्सा है, जबकि ऐसा नहीं है। ऐसी प्रथा अनुचित व्यापार व्यवहार की श्रेणी में आती है।”
उपभोक्ताओं के अधिकार सर्वोपरि
कोर्ट ने यह भी कहा कि रेस्तरां संचालकों के अधिकार उपभोक्ताओं के हितों के मुकाबले कमतर होंगे। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि कोई भी होटल या रेस्तरां सर्विस चार्ज को अनिवार्य रूप से बिल में नहीं जोड़ सकता।
सीसीपीए के अधिकार को मान्यता
अदालत ने माना कि CCPA केवल एक सलाहकार निकाय नहीं है, बल्कि उसे अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने और उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए दिशानिर्देश जारी करने का पूर्ण अधिकार है।
“सीसीपीए को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत अधिकार प्राप्त है और उसके दिशा-निर्देशों का पालन सभी रेस्तरां के लिए अनिवार्य होगा,” – कोर्ट ने कहा।
अदालत ने इस मामले में 13 दिसंबर, 2024 को अपना फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे अब जारी कर दिया गया है।
रेस्तरां संगठनों की याचिकाएं खारिज, ₹1-1 लाख का जुर्माना
फेडरेशन ऑफ होटल्स एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FHRAI) और नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) ने वर्ष 2022 में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज करते हुए दोनों संगठनों पर उपभोक्ता कल्याण के लिए CCPA में ₹1-1 लाख का जुर्माना जमा करने का आदेश दिया।
सरकार ने फैसले को बताया उपभोक्ताओं की जीत
केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस फैसले की सराहना करते हुए इसे “उपभोक्ताओं की जीत” करार दिया।
“होटल और रेस्तरां द्वारा अनिवार्य रूप से सर्विस चार्ज लगाने पर रोक लगाने वाले CCPA के दिशानिर्देशों को दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है,” – केंद्रीय मंत्री ने अपने ‘X’ पोस्ट में कहा।
निष्कर्ष
दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि कोई भी होटल या रेस्तरां ग्राहकों पर सर्विस चार्ज जबरन नहीं थोप सकता और यह पूरी तरह स्वैच्छिक होगा। अदालत का यह निर्णय उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
Leave a Reply