दिल्ली हाईकोर्ट ने लॉन्च किया यौन उत्पीड़न शिकायत पोर्टल: कार्यस्थलों पर महिलाओं की गरिमा की रक्षा की दिशा में अहम कदम

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दिल्ली हाईकोर्ट ने लॉन्च किया यौन उत्पीड़न शिकायत पोर्टल: कार्यस्थलों पर महिलाओं की गरिमा की रक्षा की दिशा में अहम कदम

नई दिल्ली | विधि संवाददाता

महिलाओं के लिए कार्यस्थलों को सुरक्षित, सम्मानजनक और समान बनाने की दिशा में एक बड़ा और व्यावहारिक कदम उठाते हुए, दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑनलाइन यौन उत्पीड़न शिकायत पोर्टल का शुभारंभ किया है। इस पहल का उद्घाटन सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एन. कोटिश्वर सिंह ने किया, जिन्होंने इसे “छोटा लेकिन निर्णायक मील का पत्थर” बताया।


न्यायिक संवेदनशीलता की मिसाल

न्यायमूर्ति कोटिश्वर सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा,

“यौन उत्पीड़न केवल व्यक्तिगत अपमान नहीं, बल्कि संविधान में निहित स्वतंत्रता, न्याय और समानता के मूल्यों पर हमला है।”

उन्होंने विशाखा गाइडलाइंस को याद करते हुए कहा कि यह पोर्टल केवल दंडात्मक प्रक्रिया नहीं, बल्कि संवेदनशीलता, जवाबदेही और संस्थागत सुधार की दिशा में उठाया गया कदम है।


दिल्ली हाईकोर्ट की पहल: अन्य राज्यों से आगे

न्यायमूर्ति सिंह ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि अन्य स्थानों पर जहां आंतरिक शिकायत समिति (ICC) महज़ नाम मात्र की है, वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने वास्तव में संरचनात्मक प्रतिबद्धता दिखाई है। यह पोर्टल महिलाओं को घर बैठे गोपनीयता के साथ शिकायत दर्ज कराने का विकल्प देता है, जिससे वे भय और सामाजिक कलंक से ऊपर उठकर न्याय की ओर बढ़ सकें।


न्यायमूर्ति डी.के. उपाध्याय का सामाजिक परिप्रेक्ष्य

दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय ने सामाजिक संरचना और मनोवृत्तियों पर प्रकाश डालते हुए कहा—

“अक्सर हम उत्पीड़न को नकारते नहीं हैं, बल्कि हमारी परवरिश हमें ये मानने ही नहीं देती कि ये हमारे कार्यस्थलों या घरों में होता है।”

उन्होंने बताया कि हाल ही में 900 से अधिक न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों को यौन उत्पीड़न से संबंधित संवेदनशीलता प्रशिक्षण दिया गया है।

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न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह का व्यावहारिक दृष्टिकोण

दिल्ली हाईकोर्ट की ICC अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने कहा,

“महिलाओं को यह तय करने में भ्रम नहीं होना चाहिए कि शिकायत हाईकोर्ट में, बार काउंसिल में या बार एसोसिएशन में करनी है। यह पोर्टल शिकायत को सही स्थान पर अपने आप पहुंचाएगा।”

उन्होंने बताया कि पिछले दस वर्षों में कम शिकायतों की संख्या दरअसल चुप्पी और भय का परिणाम थी, ना कि घटनाओं की कमी का। अब इस पोर्टल से वह “चुप्पी की दीवार” टूटेगी


क्या-क्या होगा इस पोर्टल से?

  • गोपनीयता सुरक्षित रखते हुए शिकायत की सुविधा
  • समयबद्ध निस्तारण और डिजिटल साक्ष्यों की मान्यता
  • शिकायत सही ICC तक स्वतः पहुंचाई जाएगी
  • संवेदनशीलता प्रशिक्षण के जरिए न्यायिक और विधिक समुदाय में व्यवहारिक सुधार
  • POSH अधिनियम की धारा 10 के तहत सुलह की प्रक्रिया को प्राथमिकता

निष्कर्ष

दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा शुरू किया गया यह ऑनलाइन पोर्टल Online Portal केवल एक तकनीकी नवाचार नहीं, बल्कि न्यायिक और संस्थागत सुधार की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। यह पोर्टल अब लाइव है और दिल्ली की विधिक व्यवस्था में कार्यरत महिलाओं, इंटर्न, स्टाफ, वादकारियों और अधिवक्ताओं के लिए उपलब्ध है। यह पहल न केवल शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया को सरल बनाएगी, बल्कि एक अधिक सम्मानजनक और न्यायपूर्ण कार्यस्थल संस्कृति की दिशा में भी अग्रसर करेगी।

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