‘शरबत जिहाद’ टिप्पणी पर दिल्ली हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव को लगाई कड़ी फटकार, कहा – “इसका कोई माफ़ी नहीं”
नई दिल्ली, 15 अप्रैल 2025: दिल्ली हाईकोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव को हमदर्द कंपनी और उसके प्रसिद्ध उत्पाद रूह अफ़ज़ा के खिलाफ दिए गए बयान को लेकर कड़ी फटकार लगाई है। न्यायालय ने रामदेव की टिप्पणी को न केवल मानहानिपूर्ण, बल्कि सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ावा देने वाला बताया और कहा कि यह टिप्पणी “अदालत की अंतरात्मा को झकझोरने वाली” है, जिसकी कोई माफ़ी नहीं हो सकती।
हाईकोर्ट ने की तीखी टिप्पणी
न्यायालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बाबा रामदेव द्वारा किया गया दावा – कि हमदर्द अपने मुनाफे का इस्तेमाल मस्जिदों और मदरसों के निर्माण में करता है – पूरी तरह से बेबुनियाद और आपत्तिजनक है। पीठ ने टिप्पणी की,
“आपकी इस बात का कोई औचित्य नहीं है। यह अदालत की अंतरात्मा को झकझोर देने वाली बात है। इसका कोई बचाव या माफी नहीं हो सकती।”
रामदेव ने वीडियो हटाने की दी जानकारी
रामदेव की ओर से अदालत को सूचित किया गया कि ‘शरबत जिहाद’ वाली वीडियो क्लिप को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से हटा लिया गया है। हालांकि, अदालत ने यह भी संकेत दिया कि केवल वीडियो हटाना इस प्रकार की सांप्रदायिक टिप्पणी की गंभीरता को कम नहीं कर सकता।
हमदर्द की ओर से मुकुल रोहतगी ने रखी दलीलें
हमदर्द कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पैरवी की और कहा कि यह मामला महज ब्रांड की बदनामी का नहीं, बल्कि धार्मिक विद्वेष फैलाने की गंभीर कोशिश है। उन्होंने कहा:
“यह एक हेट स्पीच (घृणास्पद भाषण) का स्पष्ट मामला है, जिसे धर्म के आधार पर एक व्यवसायिक प्रतिष्ठान को निशाना बनाकर बोला गया है।”
उन्होंने रामदेव की टिप्पणी को रूह अफ़ज़ा को “शरबत जिहाद” कहकर ‘लव जिहाद’ जैसी एक काल्पनिक साजिश से जोड़ने का भी गंभीर आरोप लगाया।
रामदेव की विवादित टिप्पणी
बाबा रामदेव ने कहा था:
“अगर आप वो शरबत (रूह अफ़ज़ा) पीते हैं, तो मदरसे और मस्जिदें बनेंगी। लेकिन अगर आप यह (पतंजलि का शरबत) पीते हैं, तो गुरुकुल और आचार्यकुलम बनेंगे, भारतीय शिक्षा बोर्ड का विस्तार होगा।”
रामदेव ने आगे यह भी कहा था:
“जैसे लव जिहाद है, वैसे ही यह भी ‘शरबत जिहाद’ है। इससे खुद को बचाना चाहिए और यह संदेश हर व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए।”
अदालत की अगली कार्रवाई
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संकेत दिया है कि इस तरह की घृणास्पद सार्वजनिक टिप्पणी पर न्यायिक स्तर पर सख्त रुख अपनाया जाएगा। अब इस मामले में मानहानि के दावे, संभावित निषेधाज्ञा आदेश, और आपराधिक जवाबदेही की संभावनाएं खुल गई हैं।
यह मामला उन बढ़ते मामलों में एक और उदाहरण है जहां न्यायालय सार्वजनिक हस्तियों की गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों पर कड़ा रुख अपना रहा है – खासकर जब वो सांप्रदायिक सौहार्द को खतरे में डालती हैं।
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