एनसीएलएटी: बैलेंस शीट में कर्ज की स्वीकृति से लिमिटेशन अवधि का निर्धारण
राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT), नई दिल्ली ने इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 (IBC) की धारा 7 के तहत दायर अपील को खारिज करते हुए आदालत द्वारा इसे समय-सीमा से बाहर (Time-Barred) माने जाने के आदेश को बरकरार रखा।
मामले की पृष्ठभूमि
- 27 फरवरी 2015 को IL&FS फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (ऋणदाता) और अधुनिक मेघालय स्टील्स प्राइवेट लिमिटेड (कॉर्पोरेट देनदार) के बीच ₹30 करोड़ का ऋण समझौता हुआ, जिसमें से ₹24.44 करोड़ वितरित किए गए।
- 1 मार्च 2018 को कॉर्पोरेट देनदार द्वारा ऋण न चुकाने के कारण खाता NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) घोषित कर दिया गया।
- 10 जुलाई 2018 और 10 अगस्त 2018 को ऋण चुकौती की नोटिस जारी की गई, लेकिन भुगतान नहीं हुआ।
- इसके बाद, 15 जनवरी 2024 को ऋणदाता ने IBC की धारा 7 के तहत ₹55.45 करोड़ के दावे के लिए आवेदन दायर किया।
- 16 मई 2024 को अधिनिर्णायक प्राधिकरण (Adjudicating Authority) ने आवेदन को समय-सीमा से बाहर मानते हुए खारिज कर दिया।
- इससे असंतुष्ट होकर ऋणदाता ने NCLAT में अपील दायर की।
प्रमुख मुद्दे
- क्या IBC की धारा 7 के तहत दायर आवेदन लिमिटेशन एक्ट, 1963 के तहत समय-सीमा से बाहर था?
- क्या FY 2019-20 की बैलेंस शीट में कर्ज की स्वीकारोक्ति लिमिटेशन एक्ट की धारा 18 के तहत समय-सीमा को आगे बढ़ा सकती है?
- क्या लिमिटेशन गणना के लिए बैलेंस शीट के साइन करने की तारीख या MCA/RoC पर अपलोड करने की तारीख मानी जानी चाहिए?
- क्या COVID-19 के दौरान सुप्रीम कोर्ट के लिमिटेशन विस्तार संबंधी आदेश का सही तरीके से पालन किया गया?
पक्षकारों की दलीलें
ऋणदाता (IL&FS Financial Services Ltd.)
- बैलेंस शीट में कर्ज की स्वीकारोक्ति FY 2019-20 तक की गई थी, जिससे लिमिटेशन अवधि धारा 18 के तहत आगे बढ़नी चाहिए।
- COVID-19 के दौरान 15 मार्च 2020 से 28 फरवरी 2022 तक लिमिटेशन निलंबित थी, इसलिए उनकी याचिका समय-सीमा के भीतर थी।
- बैलेंस शीट 12 अगस्त 2020 को साइन हुई थी, लेकिन 14 फरवरी 2021 को MCA पोर्टल पर अपलोड हुई। इसलिए, लिमिटेशन की गणना अपलोडिंग डेट से होनी चाहिए।
कॉर्पोरेट देनदार (Adhunik Meghalaya Steels Pvt. Ltd.)
- ऋण डिफॉल्ट की तारीख 1 मार्च 2018 थी, और तीन साल की लिमिटेशन अवधि 28 फरवरी 2021 को समाप्त हो गई।
- बैलेंस शीट में ऋणदाता का नाम स्पष्ट रूप से दर्ज नहीं था, जिससे कोई वैध स्वीकारोक्ति नहीं मानी जा सकती।
- IBC की धारा 7 के तहत 15 जनवरी 2024 को दायर याचिका स्पष्ट रूप से समय-सीमा के बाहर है।
NCLAT का अवलोकन
1. बैलेंस शीट में कर्ज की स्वीकारोक्ति पर्याप्त नहीं
- बैलेंस शीट में केवल “Secured Borrowings” लिखा होना पर्याप्त नहीं है जब तक कि कर्जदाता का नाम स्पष्ट रूप से दर्ज न हो।
- बिशाल जैसवाल बनाम एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (इंडिया) लिमिटेड, (2021) 6 SCC 366 मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैलेंस शीट में स्वीकारोक्ति तभी मानी जाएगी जब वह स्पष्ट, निर्द्वंद्व और ऋणदाता के नाम सहित हो।
- FY 2019-20 की बैलेंस शीट में कर्जदाता (IL&FS) का नाम नहीं था, जिससे स्वीकारोक्ति का दावा कमजोर हो गया।
2. COVID-19 लिमिटेशन विस्तार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सही उपयोग
- सुप्रीम कोर्ट ने “Cognizance for Extension of Limitation, In re, (2022) 3 SCC 117“ मामले में 15 मार्च 2020 से 28 फरवरी 2022 तक लिमिटेशन अवधि निलंबित की थी।
- लेकिन यह छूट केवल उन मामलों पर लागू होती है जिनकी लिमिटेशन अवधि इस दौरान समाप्त हो रही थी।
- NCLAT ने पाया कि लिमिटेशन 28 फरवरी 2021 को समाप्त हो गई थी, और 90 दिन की अतिरिक्त छूट 30 मई 2022 तक ही थी, जिससे याचिका अभी भी समय-सीमा के बाहर थी।
3. बैलेंस शीट साइन करने की तारीख बनाम अपलोडिंग की तारीख
- लिमिटेशन की गणना बैलेंस शीट के साइन करने की तारीख (12 अगस्त 2020) से होगी, न कि अपलोडिंग तारीख (14 फरवरी 2021) से।
- G.S. Buildtech (P) Ltd. बनाम Ardee Infrastructure, 2021 SCC OnLine NCLAT 4979 में यह सिद्धांत स्पष्ट किया गया था कि बैलेंस शीट में स्वीकारोक्ति की तारीख वही मानी जाएगी जब उसे अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा साइन किया गया हो।
- इस आधार पर, यदि स्वीकारोक्ति वैध मानी भी जाए, तो भी 12 अगस्त 2020 से तीन साल की अवधि 11 अगस्त 2023 को समाप्त हो चुकी थी।
NCLAT का निर्णय
- NCLAT ने ऋणदाता की अपील खारिज कर दी और अधिनिर्णायक प्राधिकरण (Adjudicating Authority) के आदेश को बरकरार रखा।
- धारा 7 IBC आवेदन समय-सीमा से बाहर था और बैलेंस शीट की स्वीकारोक्ति इसे वैध रूप से विस्तारित करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
निष्कर्ष
यह निर्णय बैलेंस शीट में स्वीकारोक्ति से संबंधित कानूनी सिद्धांतों को स्पष्ट करता है। इस फैसले में NCLAT ने यह दोहराया कि:
- लिमिटेशन की गणना बैलेंस शीट साइन करने की तारीख से होगी, न कि अपलोडिंग तारीख से।
- स्वीकारोक्ति तभी मान्य होगी जब कर्जदाता का नाम स्पष्ट रूप से उल्लिखित हो।
- COVID-19 अवधि के दौरान दी गई लिमिटेशन छूट का उपयोग हर मामले में नहीं किया जा सकता।
- समय-सीमा समाप्त होने के बाद दायर याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
🔹 न्यायिक निष्पक्षता और इनसॉल्वेंसी कानून की सख्ती को ध्यान में रखते हुए लिया गया यह फैसला भविष्य के मामलों में एक महत्वपूर्ण संदर्भ होगा।
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