EWS उम्मीदवार आयु छूट या अतिरिक्त प्रयासों का दावा मौलिक अधिकार के रूप में नहीं कर सकते – मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट

EWS उम्मीदवार आयु छूट या अतिरिक्त प्रयासों का दावा मौलिक अधिकार के रूप में नहीं कर सकते – मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट: सिविल सेवा परीक्षा में आयु छूट और अतिरिक्त प्रयास की मांग पर ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थियों की याचिका खारिज

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की खंडपीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन शामिल थे, ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के उम्मीदवारों द्वारा दायर एक रिट याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सिविल सेवा परीक्षा (CSE) में आयु छूट और अतिरिक्त प्रयासों की नीति को चुनौती दी गई थी। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि EWS उम्मीदवार आयु छूट या अतिरिक्त प्रयासों का दावा मौलिक अधिकार के रूप में नहीं कर सकते

मामले की पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में यह तर्क दिया कि 103वें संवैधानिक संशोधन द्वारा EWS उम्मीदवारों को आरक्षण प्रदान किया गया था, लेकिन आयु सीमा और प्रयासों में छूट नहीं दी गई, जबकि अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को यह लाभ दिया गया है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि राज्य OBC सूची में शामिल उम्मीदवारों को केंद्रीय OBC सूची के समान अवसर नहीं दिए जा रहे हैं, जो अनुचित भेदभाव है और संविधान के अनुच्छेद 14, 15(6) और 16(6) के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

मुख्य कानूनी प्रश्न

  1. क्या EWS उम्मीदवारों को UPSC सिविल सेवा परीक्षा में SC, ST और OBC उम्मीदवारों के समान आयु छूट और अतिरिक्त प्रयासों का अधिकार है?
  2. क्या राज्य OBC सूची में शामिल उम्मीदवारों को केंद्रीय OBC सूची के उम्मीदवारों के समान छूट मिलनी चाहिए?
  3. क्या EWS उम्मीदवारों को आयु छूट और अतिरिक्त प्रयास न देना संविधान के अनुच्छेद 14, 15(6) और 16(6) का उल्लंघन है?
ALSO READ -  ईशा फाउंडेशन मामला मद्रास हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर, लड़कियों ने कहा आश्रम में रहना और सन्यासी बनाना उनकी स्वयं की इच्छा, आगे की कार्यवाही पर रोक

याचिकाकर्ताओं और प्रतिवादियों के तर्क

याचिकाकर्ताओं ने यह तर्क दिया कि EWS श्रेणी के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है, इसलिए आयु छूट और अतिरिक्त प्रयासों की सुविधा भी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य OBC सूची और केंद्रीय OBC सूची के बीच का अंतर कृत्रिम रूप से बनाया गया है और यह समान अवसर के अधिकार का हनन करता है।

प्रतिवादियों (केंद्र और राज्य सरकार) ने जवाब में कहा कि SC/ST/OBC को छूट उनके सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन के आधार पर दी गई थी, जबकि EWS केवल आर्थिक रूप से कमजोर हैं, लेकिन सामाजिक रूप से पिछड़े नहीं माने जाते। इसलिए, EWS को अतिरिक्त प्रयासों और आयु सीमा में छूट देना संवैधानिक ढांचे के खिलाफ होगा

न्यायालय के अवलोकन

1. संवैधानिक प्रावधान और आरक्षण की व्यवस्था

न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 15(4), 15(5), 15(6), 16(4) और 16(6) का विश्लेषण करते हुए कहा कि आरक्षण और आयु छूट दो अलग-अलग नीतिगत मुद्दे हैं। SC/ST/OBC को दी गई राहत ऐतिहासिक सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन पर आधारित है, जबकि EWS आरक्षण केवल आर्थिक कमजोरी के लिए दिया गया था।

न्यायालय ने Janhit Abhiyan बनाम भारत संघ (2023) 5 SCC 1 के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि EWS एक अलग और स्वतंत्र वर्ग है और इसे SC, ST, या OBC के समान नहीं माना जा सकता। न्यायालय ने यह भी कहा कि आर्थिक कमजोरी स्थायी नहीं होती, लेकिन जातिगत पिछड़ापन पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है

2. सरकारी नीति में हस्तक्षेप का अधिकार

न्यायालय ने कहा कि नीति निर्धारण सरकार का विशेषाधिकार है, और न्यायालय इसमें तब तक हस्तक्षेप नहीं करेगा जब तक कि नीति संविधान का स्पष्ट उल्लंघन न कर रही हो। State of Punjab बनाम Ram Lubhaya Bagga (1998) 4 SCC 117 मामले में दिए गए फैसले का हवाला देते हुए न्यायालय ने कहा कि कोर्ट किसी नीति की बुद्धिमानी या न्यायसंगतता का मूल्यांकन नहीं कर सकता

ALSO READ -  पंजाब-हरियाणा HC ने दिल्ली के CM केजरीवाल की तर्ज पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में पूर्व मंत्री को चुनाव प्रचार के लिए 5 जून तक अंतरिम जमानत दी

3. केंद्रीय और राज्य OBC सूची का अंतर

न्यायालय ने कहा कि राज्य और केंद्रीय OBC सूची का अलग-अलग होना संविधान के अनुच्छेद 342-A के तहत वैध है। न्यायालय ने Indra Sawhney बनाम भारत संघ (1992 Supp (3) SCC 217) के फैसले का संदर्भ देते हुए कहा कि राज्य OBC सूची में शामिल होने से कोई व्यक्ति स्वचालित रूप से केंद्रीय OBC सूची के लाभ का हकदार नहीं बन जाता

4. UPSC की नीति का औचित्य

न्यायालय ने कहा कि UPSC और केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार, EWS उम्मीदवारों की आवेदन दर काफी अधिक है, जिससे यह सिद्ध होता है कि आयु छूट न देने से उनकी भागीदारी प्रभावित नहीं हो रही। इसलिए, यह दावा कि UPSC की नीति EWS उम्मीदवारों को हानि पहुंचा रही है, स्वीकार्य नहीं है

न्यायालय का निर्णय

उपरोक्त सभी बिंदुओं पर विचार करते हुए, न्यायालय ने निर्णय दिया कि EWS श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए सिविल सेवा परीक्षा में आयु छूट और अतिरिक्त प्रयासों की मांग को अस्वीकार किया जाता है

अतः, याचिका खारिज कर दी गई

📌 वाद शीर्षक – आदित्य नारायण पांडे बनाम भारत संघ
वाद संख्या –  रिट याचिका संख्या 14695/2024, निर्णय तिथि: 17-03-2025

Translate »