⚖️ ‘भारत में अदालतों में पेश नहीं हो सकते विदेशी वकील’ — बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने स्पष्ट किया नियमों का दायरा
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने गुरुवार को एक स्पष्ट प्रेस वक्तव्य जारी करते हुए यह स्पष्ट किया कि विदेशी वकील या विधि फर्म भारत में किसी भी न्यायालय, प्राधिकरण या अधिकरण के समक्ष पेश नहीं हो सकते, न ही वे भारतीय क़ानून पर सलाह दे सकते हैं या प्रैक्टिस कर सकते हैं।
BCI ने अपने 2022 में संशोधित नियमों का हवाला देते हुए कहा कि विदेशी वकीलों को केवल अपने देश के कानूनों से संबंधित गैर-विवादास्पद (non-litigation) मामलों में सलाह देने की अनुमति है, वह भी केवल तब, जब भारत सरकार के संबंधित मंत्रालयों से पूर्वानुमति प्राप्त हो।
🛑 विदेशी कानून विशेषज्ञों पर भारत में लगाम
BCI के अनुसार:
- विदेशी वकील/कानूनी फर्में भारत में न तो कार्यालय खोल सकती हैं, और न ही भारतीय कानून की कोई भी विधिक सेवा प्रदान कर सकती हैं।
- वे न्यायिक मामलों में पेश नहीं हो सकते और भारतीय विधि प्रणाली से संबंधित कोई कानूनी सलाह नहीं दे सकते।
- भारत में केवल उन्हीं देशों के वकीलों को सीमित प्रवेश मिलेगा जिन देशों में भारतीय वकीलों को समान अवसर (Reciprocity Principle) प्रदान किया गया हो।
BCI ने चेतावनी दी है कि यदि कोई विदेशी वकील या फर्म भारत में लिटिगेशन या अन्य अनधिकृत विधिक गतिविधियों में संलिप्त पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें:
- पंजीकरण रद्द करना
- भारत से निष्कासन (deportation) शामिल है।
🇮🇳 नए नियमों से भारतीय युवा वकीलों को मिलेगा लाभ
BCI का मानना है कि इन नियमों से भारतीय विधि व्यवसाय को बहुपक्षीय लाभ होंगे:
- विदेशों में अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता (arbitration) से भारत को हो रहे नुकसान की भरपाई होगी। पहले ये मामले सिंगापुर, हांगकांग जैसे स्थानों पर निपटाए जाते थे, जिससे भारतीय वकीलों को अवसर नहीं मिलते थे।
- अब ऐसे मामले भारत में ही निपटाए जाएंगे, जिससे भारतीय युवा वकीलों को व्यावसायिक लाभ मिलेगा और देश को आर्थिक रूप से भी फायदा होगा।
BCI ने यह भी कहा है कि भारत में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की प्रक्रियाओं को भारतीय वकीलों और युवाओं की भागीदारी के साथ आगे बढ़ाया जाएगा और इसके लिए अतिरिक्त दिशानिर्देश तैयार किए जा रहे हैं।
📜 निष्कर्ष: विदेशी कानूनी सेवाओं पर स्पष्ट लक्ष्मण रेखा
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अपने वक्तव्य में यह दोहराया कि:
“विदेशी वकील भारत में केवल विदेशी कानूनों पर सीमित, गैर-विवादास्पद कानूनी सलाह दे सकते हैं। भारतीय कानून में कोई भी दखल अस्वीकार्य है और इस पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी।”
इस बयान के साथ, BCI ने स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय कानूनी क्षेत्र में पारदर्शिता, आत्मनिर्भरता और भारतीय प्रतिभा को बढ़ावा देना उसकी प्राथमिकता है।
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