जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले में बेहिसाब नगदी मिलना, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की आपात बैठक, तबादले की सिफारिश
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले की सिफारिश की, जांच की प्रक्रिया भी शुरू
जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले का मामला
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले की सिफारिश की है। कॉलेजियम की इस सिफारिश के मुताबिक, जस्टिस वर्मा को वापस उनके मूल हाई कोर्ट यानी इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा जाएगा। यह सिफारिश चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले तीन वरिष्ठतम जजों के कॉलेजियम ने की है।
जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले में आग और नकदी का मामला
यह सिफारिश उस समय आई है जब जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी बंगले में एक आग लगने की घटना सामने आई। रिपोर्ट्स के अनुसार, जब यह आग लगी, जस्टिस वर्मा शहर में मौजूद नहीं थे। उनके परिवार के सदस्यों ने फायर ब्रिगेड और पुलिस को बुलाया था। आग बुझाने के बाद, दमकल कर्मियों ने जस्टिस वर्मा के बंगले के कमरों में भारी मात्रा में नकदी पाई। इस नकदी की बरामदगी के बाद हड़कंप मच गया।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की आपात बैठक
सूत्रों के अनुसार, जस्टिस वर्मा के बंगले में नकदी मिलने के बाद इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में जज के तबादले की सिफारिश की गई और इसके साथ ही जज के खिलाफ जांच की प्रक्रिया पर भी विचार किया जा रहा है। हालांकि, इस मामले में अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है।
जज के खिलाफ जांच और महाभियोग की चर्चा
जस्टिस यशवंत वर्मा का तबादला सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा किया गया है, लेकिन उनके खिलाफ जांच की भी बात चल रही है। सूत्रों के मुताबिक, कॉलेजियम के कुछ सदस्यों ने चिंता जताई है कि अगर जस्टिस वर्मा का केवल तबादला किया जाता है, तो यह न्यायपालिका की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे जनता का न्यायपालिका पर विश्वास कमजोर हो सकता है। कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया कि जस्टिस वर्मा से इस्तीफा लिया जाना चाहिए, और अगर वे इनकार करते हैं, तो संसद में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए।
इन-हाउस जांच प्रक्रिया
संविधान के तहत, किसी भी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ भ्रष्टाचार, अनियमितता या कदाचार के आरोपों की जांच के लिए 1999 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन-हाउस प्रक्रिया तैयार की गई थी। इस प्रक्रिया के तहत, CJI पहले संबंधित न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांगते हैं। अगर जवाब संतोषजनक नहीं होता, या मामले में गहन जांच की आवश्यकता महसूस होती है, तो CJI सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश और दो हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की एक समिति बनाते हैं। फिर जांच के नतीजे के आधार पर जज का इस्तीफा या महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
राजनीतिक और कानूनी प्रतिक्रिया
इस पूरे घटनाक्रम पर राजनीतिक और कानूनी क्षेत्रों से भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एसवाई कुरेशी ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “कितनी शर्म की बात है। देखते हैं क्या कार्रवाई होती है। क्या तबादला एक सज़ा है?” वहीं, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, “न्यायपालिका में भ्रष्टाचार एक गंभीर मुद्दा है। इसलिए मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर विचार करना शुरू करे कि नियुक्ति प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाना चाहिए।”
निष्कर्ष
जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी बंगले में भारी मात्रा में नकदी मिलने की घटना ने न्यायपालिका के भीतर भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोपों को एक बार फिर से चर्चा में ला दिया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई करते हुए जज के तबादले की सिफारिश की है, लेकिन इसके साथ ही जांच और महाभियोग की प्रक्रिया पर भी विचार किया जा रहा है। यह मामला न्यायपालिका के भीतर पारदर्शिता और ईमानदारी बनाए रखने की दिशा में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।
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