चीफ जस्टिस की बैंच में सरकारी अधिवक्ता नहीं पढ़ पा रहे थे अंग्रेजी, कोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा कि इन्हें तुरंत हटाइए

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चीफ जस्टिस रवि मलिमथ की बैंच में एक सरकारी अधिवक्ता अंग्रेजी नहीं पढ़ पा रहे थे और कोर्ट के सवाल का जवाब भी नहीं दे पा रहे थे। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कैसे अधिवक्ता नियुक्त किए हैं, ये मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में शासकीय अधिवक्ता बनने की योग्यता नहीं रखते हैं। सिर्फ कोर्ट का कीमती समय बर्बाद कर रहे हैं। कोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता से कहा कि इन्हें तुरंत हटाइए।

मामला क्या था-

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में ब्रज किशोर शर्मा ने दतिया के कलेक्टर संदीप माकिन के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की। उनकी ओर से तर्क दिया गया कि दतिया जिले के सेंवढ़ा के देवई गांव के मंदिर की जमीन पर अतिक्रमण हो गया है और मंदिर में अव्यवस्थाएं फैली हैं। हाईकोर्ट (ग्वालियर बेंच) जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मंदिर की व्यवस्थाएं सुधारने का आदेश दिया था, लेकिन उस आदेश का अभी तक पालन नहीं किया गया। दतिया के कलेक्टर संदीप माकिन के तरफ से जवाब दिया गया कि पुजारी व प्रबंधन का विवाद है। इसमें सिविल सूट दायर किया जा रहा है। कोर्ट ने यह तर्क लिखित में मांगा तो 13 मार्च का समय लिया। बुधवार को शासकीय अधिवक्ता आरके अवस्थी कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए।

कलेक्टर की ओर से जो पालन प्रतिवेदन लेकर आए, उसकी जानकारी से कोर्ट को अवगत नहीं करा पाए। दस्तावेज भी नहीं पढ़ पा रहे थे। कोर्ट ने पूछा, मंदिर की अव्यवस्थाओं को दूर करने के लिए क्या किया, लेकिन शासकीय अधिवक्ता नहीं बता पा रहे थे। दूसरे अधिवक्ता मदद के लिए खड़े हुए तो कोर्ट ने मना कर दिया। क्योंकि शासकीय अधिवक्ता की यह जिम्मेदारी थी। इस अवमानना याचिका की सुनवाई 20 मार्च को फिर से होगी।

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अवमानना में खड़े किए जा जूनियर या दूसरे अधिवक्ता, चीफ जस्टिस की कड़ी आपत्ति-

मध्य प्रदेश शासन के अधिकारियों के खिलाफ बड़ी संख्या में अवमानना याचिका दायर हो रही हैं। अवमानना याचिका में नोटिस के बाद अधिकारी को अधिवक्ता की फीस का भुगतान करना पड़ता है। यदि अधिकारी बाहरी अधिवक्ता को नियुक्त नहीं करता है तो महाधिवक्ता कार्यालय से शासकीय अधिवक्ता को फाइल आवंटित होती है। शासकीय अधिवक्ता को 5 हजार 500 रुपए फीस अधिकारी से मिलती है।

अतिरिक्त फीस 5 हजार 500 रुपए के लिए शासकीय अधिवक्ता मामले की फाइल अपने नाम करा रहे थे। उसके बाद पैरवी के लिए अपने जूनियर या दूसरे वकीलों को भेजते थे। सोमवार को चीफ जस्टिस इस व्यवस्था पर आपत्ति कर रहे थे। शासकीय दस्तावेज एक बाहरी अधिवक्ता को कैसे दे रहे हैं।

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