हाईकोर्ट के न्यायाधीश संदीप मेहता व समीर जैन की खंडपीठ ने एक याचिका को स्वीकार करते हुए मोटर यान दुर्घटना दावा अधिकरण पाली की पीठासीन अधिकारी दीपा गुर्जर द्वारा पूर्व आदेशिका में कथित छेड़छाड़ और बदलाव कर 2 अगस्त 2019 को की गई टिप्पणी को अवांछनीय और छवि धूमिल करने वाली मानते हुए उसे अपास्त कर दिया है।
जोधपुर के एक वकील ने यह याचिका लगाई थी। याचिकाकर्ता अनिल भंडारी की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अनिल भंसाली ने कहा कि दावेदार की ओर से अधिकरण के समक्ष 12 अप्रैल 2014 को दायर इजराय प्रकरण में बीमा कंपनी का बैंक खाता कुर्क कर 94 लाख 35 हजार 483 रुपए भुगतान करने का आग्रह किया था।
उन्होंने कहा कि इस पर 5 साल हो जाने के बावजूद भी निर्णय नहीं किए जाने पर ब्रिटेन निवासी दावेदार ने 26 जुलाई 2019 को भारतीय उच्चायुक्त और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को शिकायत की। तब अधिकरण ने 31 जुलाई की अपनी आदेशिका में प्रकरण को 2 अगस्त के लिए माजिद बहस रख दिया।
अधिवक्ता भंसाली ने कहा कि दावेदार के अधिवक्ता ने जैसे ही अपनी पैरवी प्रारंभ की तो पीठासीन अधिकारी भड़क कर बोली कि आप लोगों ने मेरी शिकायत कर दी है तो अब देखती हूं कि फैसला कैसे होता है? उन्होंने कहा कि फिर भी दावेदार और बीमा कंपनी की ओर से पैरवी पूर्ण कर दी गई और उन्हें बताया गया कि फैसला शाम तक आ जाएगा।
अधिवक्ता ने कहा कि पत्रावली चार दिन बाद पीठासीन अधिकारी के चेंबर से बाहर आने पर जब नकल ली गई तो पाया कि 2 अगस्त के आदेश में अधिवक्ता के खिलाफ झूठी ही अनुचित और छवि धूमिल करने वाली टिप्पणियां अंकित कर दी गई और यहां तक लिख दिया कि उन्होंने अधिवक्ता को चेतावनी भी दी।